जाने राष्ट्रपति शासन के दौरान क्या-क्या परिवर्तन हो जाते है

मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) की बैठक में महाराष्ट्र (Maharashtra) में राष्ट्रपति शासन (President's Rule) लगाने की राज्यपाल (Governor) की सिफारिश को मंजूरी मिल गई है | आपको बता दें कि महाराष्ट्र के इतिहास में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है | इससे पहले राज्य में अब तक सिर्फ 2 बार ही राष्ट्रपति शासन लगा था | राज्य में सबसे पहले 17 फरवरी 1980 को और 28 सितंबर 2014 को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था | राज्य में पहली बार 17 फरवरी 1980 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार को विधानसभा में पर्याप्त बहुमत होने के बावजूद सदन भंग कर दिया गया था | राज्य में 17 फरवरी से 8 जून 1980 तक अर्थात 112 दिन तक राष्ट्रपति शासन लगा था | दूसरी बार राज्य में 28 सितंबर 2014 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था | उस वक्त राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने अपने सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सहित अन्य दलों के साथ अलग हुआ था और विधानसभा को भंग किया गया था | दूसरी बार राज्य में 28 सितंबर 2014 से लेकर 30 अक्टूबर यानी 32 दिनों तक राष्ट्रपति शासन रहा था | आइए जानते है कि राष्ट्रपति शासन के दौरान क्या-क्या परिवर्तन हो जाते है - राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रीपरिषद को भंग कर देता है, राष्ट्रपति, राज्य सरकार के कार्य अपने हाथ में ले लेता है और उसे राज्यपाल और अन्य कार्यकारी अधिकारियों की शक्तियां प्राप्त हो जातीं हैं, राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति के नाम पर राज्य सचिव की सहायता से अथवा राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त -किसी सलाहकार की सहायता से राज्य का शासन चलाता है | यही कारण है कि अनुच्छेद 356 के अंतर्गत की गई घोषणा को राष्ट्रपति शासन कहा जाता है, राष्ट्रपति, घोषणा कर सकता है कि राज्य विधायिका की शक्तियों का प्रयोग संसद करेगी, संसद, राज्य के विधेयक और बजट प्रस्ताव को पारित करती है, संसद को यह अधिकार है कि वह राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति, राष्ट्रपति अथवा उसके किसी नामित अधिकारी को दे सकती है, जब संसद नहीं चल रही हो तो राष्ट्रपति ,अनुच्छेद 356 शासित राज्य' के लिए कोई अध्यादेश जारी कर सकता है | राष्ट्रपति को सम्बंधित प्रदेश के हाई कोर्ट की शक्तियां प्राप्त नहीं होती हैं और वह उनसे सम्बंधित प्रावधानों को निलंबित नहीं कर सकता है | राष्ट्रपति अथवा संसद अथवा किसी अन्य विशेष प्राधिकारी द्वारा बनाया गया कानून, राष्ट्रपति शासन के हटने के बाद भी प्रभाव में रहेगा |