धोना इसलिए भी जरूरी है...

नई दिल्ली,
सदियों से चली आ रहे नियमों में बदलाव के बाद हमारी दिनचर्या जरूर आसान हुई है। लेकिन इन बदलाव से जितना फायदा हुआ है, उससे कहीं ज़्यादा नुकसान भी हुआ है।
आजकल देश-विदेश में शौच के बाद अधिकतर लोग साफ करने के लिए टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करते हैं। इस दौरान सिर्फ निचले हिस्से की ही सफाई कर पाते है। जिससे ऊपरी हिस्से में गंदगी रहे जाती है और उनसे कीटाणु पैदा हो जाते है। इन कीटाणुओं का आकार इतना छोटा होता है कि इन्हें मानव आंखो से नहीं देखा जा सकता है। जिससे कई गंभीर बीमारियां भी होने खतरा रहता है।
शौच के बाद टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करने से न सिर्फ खतरनाक बीमारियां फैलती है बल्कि पानी की भी अधिक बर्बादी होती है।
अब आप सोच रहें होंगे कि अगर टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल नही करेंगे तो पानी की बर्बादी को कैसे रोका जा सकता है। जबकि तब तो ज्यादा ही पानी की बर्बादी होगी।
इसलिए अपकी जानकारी के लिए बता दे कि अमेरिका में एक साल में करीब 35 बिलियन से अधिक टॉयलेट पेपर इस्तेमाल हो जाता है। जिसके उत्पादन में 1.7 ट्रिलियन लीटर पानी और 250 टन क्लोरीन केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए सदियों पहले शौच के बाद पानी से साफ करने के नियमों का अपने दिनचर्या में शामिल करें। जिससे पानी की बचत होगी और आप गंभीर बीमारी से भी दूरे रहेंगे।
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