क्राइम

देश के इस गांव में हैं करोड़पतियों का घर, लाखों के मालिक हैं लोग

भारत के किसी गांव की जब कभी बात आती है, तो हमारे मन में एक ऐसी जगह की छवि उकेरने लगती है, जहां मौलिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। आज भी देश में कई ऐसे ग्रामीण हिस्से हैं, जहां के लोग खेती—बाड़ी से जुड़े रहते हैं और गरीबी में ​जीवन जीने को मजबूर हैं। हालांकि आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां करोड़​पतियों का निवास है। 

यहां गुजरात के कच्छ जिले में स्थित माधापर गांव की बात की जा रही है, जहां स्कूल, कॉलेज से लेकर बड़े—बड़े बैंक मौजूद है। गांव में कुल 7,600 घर हैं, जिनमें करीब 92,000 लोग रहते हैं। इस गांव की सबसे बड़ी खासियत आर्थिक दृष्टिकोण के प्रति लोगों की जागरूकता है। गांव में कुल 17 बैंक हैं, जिनमें गांव वालों का करीब 5,000 करोड़ रुपये जमा है। यानी कि अगर इस कुल रकम का गांव की आबादी के हिसाब से औसत निकाला जाए, तो करीब 15 लाख रुपये हर व्यक्ति के खाते में जमा होंगे। इसी के चलते माधापर को भारत का सबसे अमीर गांव माना जाता है। 

माधापर भले ही एक गांव है, लेकिन देखने में यह किसी शहर के माफिक लगता है। यहां बेहतरीन स्कूल, कॉलेज, शानदार कम्युनिटी हॉल, अच्छे गोशाला, पोस्ट ऑफिस जैसी हर जरूरी चीज मौजूद है। यहां के लोग साफ—सफाई और अपनी बेहतरी के को लेकर इतने जागरूक हैं कि इन्होंने गांव में निर्मित बांधों, कुओं और झीलों को अच्छे से रखा है। 

माधापर गांव के निवासी सिर्फ गांव तक ही सीमित नहीं रहे हैं। यहां के कई लोग यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, अफ्रीका और खाड़ी देशों में रहकर काम कर रहे हैं। देश के बाहर रह रहे गांव वालों को आपस में जोड़ने के मकसद से सन 1968 में लंदन में यहां के लोगों ने माधापर विलेज एसोसिएशन नाम का एक संगठन बनाया। इसके माध्यम से लोग अपने गांव से जुड़े रहते हैं, यहां के बैंकों में अपना पैसा जमा कराते हैं। इनकी एक और खासियत यह है कि गांव से बाहर रह रहे लोगों ने अपने खेत नहीं बेचे हैं, इनकी देखभाल गांव में रह रहे लोग करते हैं। इस तरह से इनके बीच आपसी सद्भाव भी बना रहता है।


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