सरहद-ए-निगेहबान
Fri, 15 Jan 2021

सरहद पर खड़ा,
वो अपनी नींदें खो रहा है,
देश रहे सलामत,
इसलिए वो न सो रहा है;
***
अहसासों का पिटारा,
भर कर वो अपने सीने में,
होंठो पर लिए हँसी,
पर दिल में वो रो रहा है;
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यादें तो उसे भी,
आती होंगी अपनों की,
पर जज्बातों को दबाये,
वो खुद को भी खो रहा है;
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चाहता है वो इतना ही,
कि लोग याद रखें उसकी कुर्बानियाँ,
एहसान फरामोशी की इस दुनिया में,
उम्मीदें वो बो रहा है;
***
ऐसे सरहद के निगेहबानों को,
नमन है तहे दिल से,
क्योंकि वो जग रहे हैं,
इसलिये देश सुकून से जी रहा है।
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भारतीय सेना दिवस पर देश के पहरेदारों को कोटि-कोटि नमन!
--(भावना मौर्य)--