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मिसाल बनीं झारखंड की 7000 महिलाएं, इस Technology से लिख डाली सफलता की अनोखी दास्तां

रांची | झारखंड ( Jharkhand Women ) के खेतों में उपजायी जा रही फसलें और यहां के किसानों की सफलता की खुशबू अब देश-दुनिया तक पहुंच रही है। ये वही किसान हैं, जो कभी खेतों में सालों भर पसीने बहाकर और अपना खून सुखाकर भी फसलों को औने-पौने भाव में बेचने को मजबूर होते थे। तकनीक की समझ और इंटरनेट के जरिए घर बैठे देश-दुनिया के कोने-कोने में संपर्क साधने की सहुलियत गांवों तक पहुंची तो किसानों की जिंदगी भी बदल रही है। सबसे सुखद पहलू यह कि बदलाव और कामयाबी की इन नई कहानियों में महिलाओं का किरदार बेहद अहम है।

हजारीबाग जिले के उग्रवाद प्रभावित चुरचू प्रखंड की सात हजार महिला किसानों के एक समूह की कहानी किसी को भी चमत्कृत कर सकती है। 2017 में यहां की दस महिला किसानों ने एक समूह बनाया और एक साथ मिलकर खेती की शुरूआत की। धीरे-धीरे इस समूह से जुड़नेवाली महिला किसानों की संख्या बढ़ती गयी और इसके बाद 2018 में चुरचू नारी ऊर्जा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की शुरूआत हुई।

इस फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन ( FPO ) ने कृषि मंत्रालय के पोर्टल ई-नाम से संबद्धता हासिल की और इसके जरिए खेतों में उपजायी जाने वाली फसलें देश भर की मंडियों में ऑनलाइन बेची जाने लगीं। वर्ष 2019-20 में कंपनी ने अनाज और सब्जी बेचकर एक करोड़ तीन लाख रुपए कमाये। इसके बाद 2020-21 में दो करोड़ 72 लाख रुपये की सब्जी बेची गयी। वर्ष 2021-22 में अब तक कंपनी डेढ़ करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर चुकी है। इस समूह की सफलता की गूंज अब राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गयी है।

बीते साल 17 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित लाइवलीहुडसमिट में चुरचू नारी ऊर्जा को लघु श्रेणी के एफपीओ में बेस्टएफपीओ ऑफ द ईयर आंका गया और एफपीओ इंपैक्ट अवार्ड 2021 से सम्मानित किया गया। चुरचू नारी ऊर्जा फार्मरप्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की सफलता इस मायने में और भी खास है कि यह कंपनी पूरी तरह महिलाओं के हाथों संचालित है। कंपनी में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से लेकर सदस्य और किसान सभी महिलाएं हैं। चेयरमैन सुमित्रा देवी व निदेशक लालमुनी मरांडी हैं।

कंपनी की डायरेक्टर लालमुनी बताती हैं कि यह सफलता रातों-रात हासिल नहीं हुई। वह कहती हैं कि पहले हमारी फसलें ओनौ-पौने दाम में बिक जाती थीं। व्यापारी समय पर पैसे नहीं देते थे। माल लौटा देते थे। मनमानी करते थे। जब हमलोग ई-नाम पोर्टल के जरिए देश भर की मंडियों से जुड़े तो हालात बदलने लगे। अब तो घर बैठे इस पोर्टल के जरिए फसलें बिक जाती हैं। 24 घंटे के अंदर भुगतान होता है और पहले की तुलना में 25 प्रतिशत ज्यादा मूल्य प्राप्त होता है। कंपनी ने ई-नाम पोर्टल पर कारोबार के जरिए समूह की महिला किसानों को 92 लाख रुपये का डिजिटल पेमेंट कराया है।

कंपनी की चेयरपर्सन सुमित्रा देवी कहती हैं कि ई-नाम पोर्टल के जरिए जो कारोबार हो रहा है, उसमें कृषि बाजार समिति के सचिव राकेश कुमार सिंह का मार्गदर्शन बेहद अहम रहा है। कंपनी को खड़ा करने में शुरूआती दौर में कई मुश्किलें आयीं। किसान शुरू में एफपीओ से न तो जुड़ना चाहते थे और न इसके लिए पैसे देने को राजी थीं। धीरे-धीरे विश्वास जमा। एफपीसी से जुड़ीं सभी महिला किसानों को कंपनी की तरफ से उन्नत किस्म के बीज दिए जाते हैं। एफपीसी ने कई कंपनियों की डीलरशिप ले ली है। इससे उन्हें होलसेल दाम पर बीज मिल जाता है। इसके अलावा यूरिया और डीएपी समय पर सही दाम में मिल जाता है।

कंपनी में अभी कंपनी में 2500 किसान शेयर होल्डर्स हैं, जबकि इससे जुड़ी महिला किसानों की कुल संख्या 7000 हैं। जिन महिलाओं के पास खेत नहीं है, उन्हें बकरी, सुकर और मछली पालन जैसे कारोबार से जोड़ा गया है।

रांची के नगड़ी के एक फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन ने भी सफलता की बेमिसाल कहानी लिखी है। कोविड के कारण बेरोजगार हुए स्थानीय युवाओं ने एफपीओ से जुड़कर आधुनिक तकनीक से खेती शुरू की तो सफलता की नई खिड़कियां खुल गयीं। दो साल से भी कम अवधि में नगड़ी के एफपीओनेचुरलफार्मिलो ने 1 करोड़ 30 लाख का कारोबार किया है। इससे 400 किसान जुड़े हैं। इसके बोर्ड आफडायेरक्टर्स में नीतूकेशरी, गणेश पाहन, सूरज कच्छप, कंचन देवी और अमन कुमार शामिल हैं। इस एफपीओ ने जुलाई 2020 में सात एकड़ में सहजन की खेती शुरू की। करीब दस हजार सहजन के पौधे लगाए गए।


देखते-देखते इलाके के कई किसान इस मुहिम में साझीदार बनते गये। अब सहजन के अलावा मटर, टमाटर, कच्चू, कद्दू, अदरख, तरबूज, बीन्स की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। एफपीओ के एक डायरेक्टर गणेश पाहन बताते हैं कि लगभग 600 एकड़ में फसलें उपजायी जा रही हैं। 2020 में तो कच्चू, कद्दू, धनिया आदि सब्जियों खाड़ी देशों में बेची गयीं। पौधों की सैपलिंग तैयार करने के लिए सरकार की ओर से 75 फीसदी अनुदान पर पॉली हाउस मिला है। यहां से किसानों को उन्नत किस्म की सैपलिंग मिल जाती है। इस एफपीओ के निर्माण में रांची के जिला कृषि पदाधिकारी रहे अशोक कुमार ने मार्गदर्शन किया था। खेती नई तकनीक से जुड़ी और ई-नाम पोर्टल के जरिए देश भर की मंडियों से जुड़ाव हुआ तो सैकड़ों किसानों का जीवन बदल गया।

हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड के बरकाखुर्द के किसान अशोक मेहता ने भी ई-नाम पोर्टल के जरिए घर बैठे अपनी फसलें देश भर की मंडियों में पहुंचायीं। कोविड लॉकडाउन के दौरान जब किसानों के लिए बाजार का संकट था, तब अशोक कुमार मेहता ने घर बैठे 821 क्विंटल गेहूं की बिक्री की। इसी तरह चुरचूवाडी सब्जी प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीओ) चलाने वाले फुलेश्वरमहतो ने लगभग आठ सौ किसानों का समूह बनाकर ई-नाम के जरिए कारोबार किया।

पिछले साल इस एफपीओ ने 30 लाख रुपये से ज्यादा का तरबूज बेचा। एक ऑनलाइन कार्यक्रम में इन दोनों किसानों की सफलता की कहानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके मुंह से खुद सुनी और उनकी उद्यमिता की भरपूर प्रशंसा की। झारखंड के विभिन्न इलाकों के खेतों-खलिहानों से सफलता की ऐसी दर्जनों कहानियां सामने आ रही हैं। उम्मीद की जा रही है कि कामयाबी की ऐसी इबारतों का सिलसिला और बढ़ेगा।

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