५ साल में १. ४ करोड़ नौकरियों के खत्म होने की आशंका ,वर्ल्ड इकनोमिक फोरम रिपोर्ट (२०२३)

नवीनतम अध्यययन के अनुसार , वर्ल्ड इकनोमिक फोरम ने इस वर्ष ८०० से भी अधिक कंपनियों का सर्वेक्षण किया और यह पाया की बहुत सी कंपनियां नयी तकनीको जैसे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और कई अन्य नयी मशीनों को अपनाती है जिसके परिणामानुसार यह वैश्विक रूप से आगामी नौकरियों में होने वाली कमियों को दर्शाता है।
वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के अनुसार २०२७ तक प्रत्येक एम्प्लॉय ६९ मिलियन नए रोजगार बनाने की उम्मीद करते है परन्तु ८३ मिलियन नौकरियों के पदों को भी ख़त्म कर देते है। जिसके फल स्वरुप वर्तमान रोजगार की २% नौकरियों यानि १४ मिलियन नौकरियों का पूर्णरूप से नुक्सान होगा। जिसमें रोजगार में बदलाव के मुख्य कारक इस प्रकार है –
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का उदय – जैसा की सर्व विदित है की वर्तमान समय में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस जैसे नवीन टूल्स के बारे में एम्प्लॉई को अधिक जानकारी नहीं है जिसके लिए कंपनियों को नए कर्मचारियों की आवश्यकता होगी , जो की रोजगार उत्पन्न करने में तो सकारात्मक रूप से सहायक होगा परन्तु नकारात्मक शक्ति की तरह भी कार्य करेगा। क्यूंकिआर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की सहायता से रोबोट इंसानो की जगह ले सकते है जिसके परिणाम स्वरूप २६ मिलियन प्रशासनिक नौकरियों की दर में गिरावट आ सकती है जिसमे डाटा एंट्री क्लर्क और अन्य कार्यरत सचिवों के पदों को अधिक नुक्सान होने की आशंका है।
कर्मचारी कौशल को बढ़ावा देने का विचार –
वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के अनुसार आज के समय में अधिकतर कंपनियां अपने कर्मचारियों की स्किल्स को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। फर्म अब कंप्यूटर प्रोग्रामिंग को ज्यादा महत्व ना देते हुए ऐ.आई टूल्स की स्किल्स को उत्पन्न करवाना तथा उसका कुशल रूप से सञ्चालन करने की क्षमता को महत्व दे रही है, तकि रोजगार के अवसर बढ़ सके।