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सौरमंडल में शनि ग्रह के 65 नए चंद्रमा खोजे गए हैं जिसके बाद यह सबसे ज्यादा चंद्रमा वाला ग्रह बन गया है

शनि ग्रह, जिसे वैदिक ज्योतिष में शनि देवता का अवतार माना जाता है, सौरमंडल का एक महत्वपूर्ण ग्रह है। इसकी मार्गी मारक गति और उसका अनूठा छाया प्रभाव इसे अन्य ग्रहों से अलग बनाते हैं। शनि ग्रह को चंद्रमा के चारों ओर की आठ ग्रहों में से एक माना जाता है, जिनमें उर्वशी, तिलोसा, हेलेना, डैफ्नी, पोलिक्स, कर्मे, इग्रेसियस, और अगलायोन शामिल हैं। यह संख्या अब 65 तक पहुंच गई है, जिससे शनि ग्रह अब सबसे ज्यादा चंद्रमा वाला ग्रह बन गया है।

यह नई चंद्रमाएं शनि ग्रह के आसपास की काफी दूर बसी हुई हैं और इनमें से कई छोटे अश्व ग्रहों के रूप में जाने जाते हैं। इन चंद्रमाओं की आकृति, आकार और संरचना अद्वितीय हो सकती है और इसका मतलब है कि इनमें जीवन के लिए संभावनाएं हो सकती हैं।

अलग अलग ग्रहों के अलग-अलग उपग्रह या चंद्रमा होते हैं। जैसे पृथ्वी का अपना चंद्रमा है। इसी तरह मंगल, यूरेनस, नेप्च्यून के भी अपने चंद्रमा हैं। हाल ही में बृहस्पति के 12 नए चंद्रमा खोजे गए थे, जिसके बाद यह सौरमंडल का सबसे ज्यादा चंद्रमा वाला ग्रह बन गया था। लेकिन अब यह ताज फिर से शनि ग्रह के सिर आ गया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलम्बिया में स्पेस वैज्ञानिकों की एक टीम ने शनि के 62 नए चंद्रमा खोजे हैं। रिसर्च में शामिल यूनिवर्सिटी के ही एक खगोलशास्त्री, प्रोफेसर ब्रेट ग्लैडमैन ने बताया कि शनि ने न केवल अपने चंद्रमाओं की संख्या को लगभग दोगुना कर लिया है

शनि के पास इससे पहले 83 चंद्रमा थे जो कि इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) द्वारा पहचाने गए थे। इसके नए चंद्रमाओं की खोज करने के लिए टीम ने एक तकनीक का इस्तेमाल किया जिसे ‘शिफ्ट एंड स्टैक’ कहते हैं। इस तकनीक में कुछ इमेज इस्तेमाल की जाती हैं जिन्हें एक समान स्पीड पर शिफ्ट किया जाता है, जिस पर कि कोई चंद्रमा गति करता है। इससे अंतरिक्ष में मौजूद कम चमकीली चीजें भी दिखाई दे जाती हैं

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