उत्तर प्रदेश के 63 जनपदों में परम्परागत कृषि विकास योजना तथा 27 जनपदों में नमामि गंगे योजना के अन्तर्गत जैविक खेती को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से बुधवार को अपर मुख्य सचिव, कृषि डा0 देवेश चतुर्वेदी द्वारा कृषि निदेशालय में जनपदों में कार्यरत सपोर्टिंग एजेन्सी तथा रीजनल काउसिंल के साथ गहन समीक्षा की गई।
अपर मुख्य सचिव द्वारा निर्देशित किया गया कि जैविक व प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए त्रैमासिक समीक्षा राज्य स्तर पर तथा जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में प्रत्येक माह समीक्षा की जाय। उन्होंने कहा कि जैविक खेती को टिकाऊ बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि लगातार तीन वर्ष तक जैविक खेती करने वाले कृषकों की उपज को बाजार मिल सके, इसके लिए क्लस्टर के आधार पर आर्गेनिक एफ0पी0ओ0 को तैयार किया जाए। जिससे कि कृषकों को जैविक उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त हो सके। जैविक खेती व प्राकृतिक खेती ही वह रास्ता है जो खेती की लागत को कम करते हुए रसायनों के उपयोग को घटायेगा, साथ ही उत्तम गुणवत्तायुक्त अनाज, दालें, तेल, सब्जियॉ, फूल, फल एवं दूध प्राप्त होगा। कृषि निदेशक श्री विवेक कुमार सिंह द्वारा कहा गया कि जैविक क्लस्टर के कृषकों को भी इस स्तर तक जागरूक किया जाए कि वे गौ-आधारित खेती के विज्ञान को भी समझें तथा प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाएं।
कार्यक्रम में संयुक्त कृषि निदेशक, ब्यूरो डा0 आशुतोष कुमार मिश्र तथा गंगा-सेल के वरिष्ठ राज्य सलाहकार डा0 सी0पी0 श्रीवास्तव तथा टेक्नीकल आफिसर विनय कौशल भी उपस्थित रहे।