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कानपुर का प्राचीन भीतरगाँव मंदिर, टेराकोटा और ईंट की अद्वितीय वास्तुकला

उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में स्थित भीतरगाँव मंदिर भारत के सबसे पुराने और जीवंत ईंट मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का इतिहास गुप्त साम्राज्य के दौरान जुड़ा हुआ है, और यहां की अद्वितीय डिजाइन और संरचना आज भी दर्शकों को प्रभावित करती है। भीतरगाँव मंदिर गुप्त साम्राज्य के दौरान निर्मित हुआ था। इसकी टेराकोटा और ईंट की डिजाइन और अद्वितीय वास्तुकला आज भी इसे भारतीय स्थापत्य के महत्वपूर्ण उदाहरण में से एक बनाते हैं। इसके आस-पास कई पुरातात्विक स्थल हैं जो ऐतिहासिक महत्व रखते हैं, और भारतीय सांस्कृतिक धरोहर हैं।

मंदिर का इतिहास   

भीतरगाँव मंदिर का निर्माण गुप्त साम्राज्य के समय 5वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर का नाम गुप्त राजवंश के महान राजा चंद्रगुप्त द्वितीय के नाम पर रखा गया है। मंदिर के निर्माण के दौरान बहुत सारा पुनर्स्थापना कार्य किया गया, लेकिन इसकी कई मूल विशेषताएं आज भी बरकरार हैं।

अद्वितीय डिजाइन

भीतरगाँव मंदिर की सुंदर टेराकोटा और ईंटों की डिजाइन भारतीय स्थापत्य का प्रमुखता से संकेत मिलता है। 15वीं शताब्दी के मध्य से, यह देश के अन्य वास्तुशिल्प डिजाइनों के साथ महत्वपूर्ण बन गया। इसका निर्माण क्रांतिकारी निर्माण जगत में भी ध्यान आकर्षित करता है और इसे एक अद्वितीय ईंट मंदिर बनाता है।

पुरातात्विक धरोहर

मंदिर के समीप कई पुरातात्विक स्थल हैं जो ऐतिहासिक महत्व रखते हैं। 1871 में जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रथम महानिदेशक, अलेक्जेंडर कनिंघम ने पहली बार इस स्थल का दौरा किया, तो वहां बरामदा और अर्धमंडप के अवशेष दिखाई दे रहे थे, जो बाद में ढह गए। इसके साथ ही मंदिर के पीछे वराह अवतार की आकृति भी है, जो संभवतः इसके विष्णु मंदिर होने का एक प्रमाण है।

मंदिर का महत्व

भीतरगाँव मंदिर एक चौकोर न्यास पर निर्मित है, जिसमें किनारों पर दोहरे आले हैं और इसका मुख पूर्व की ओर है। मंदिर की दीवारों को शिव, पार्वती, गणेश, विष्णु, और अन्य देवी-देवताओं की टेराकोटा मूर्तियों से सजाया गया है, जो सजावटी आयताकार स्तंभों द्वारा अलग किए गए हैं और दीवार से थोड़ा उभरे हुए हैं। मंदिर का महत्व उसकी टेराकोटा और ईंट की सामग्री में है, जो इसे अनूठा बनाती है। इस मंदिर का इतिहास और उसकी डिजाइन भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यह आज भी लोगों को प्रेरित करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

भीतरगाँव मंदिर में क्या दर्शनीय है?

भीतरगाँव मंदिर एक दर्शनीय स्थल है और इसकी टेराकोटा और ईंट की डिजाइन बहुत ही आकर्षक है।

इस मंदिर का क्या विशेष महत्व है?

इस मंदिर का निर्माण गुप्त साम्राज्य के समय हुआ था, और इसका महत्व भारतीय सांस्कृतिक धरोहर में है।

भीतरगाँव मंदिर कैसे पहुंचा जा सकता है?

भीतरगाँव मंदिर कानपुर जनपद में स्थित है, और यह बस, ट्रेन और अन्य स्थानीय यातायात माध्यम से पहुंचा जा सकता है।

क्या यहां की मूर्तियाँ गुप्त साम्राज्य के समय की हैं?

हां, इस मंदिर में कई मूर्तियाँ गुप्त साम्राज्य के समय की हैं, जो इसका इतिहास और महत्व बढ़ाती हैं।

इस मंदिर के पास कोई अन्य प्राचीन स्थल हैं?

मंदिर के आस-पास कई पुरातात्विक स्थल हैं जो ऐतिहासिक महत्व रखते हैं और भारतीय सांस्कृतिक धरोहर हैं।

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