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खूबसूरती नहीं होती हैं सब कुछ
मेरी खूबसूरती को,
मुझे तौलने का पैमाना न बना;
हुस्न से भी बहुत आगे होती हैं,
काबिलियत की सीढियाँ;
मेरी कोशिशों को नाप देते हो जो,
तुम लोग सुंदरता के तराजू में, शायद-
इसी सोच की वजह से पीछे रह जाती हैं,
महिलाएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ियाँ;
दे सको तो साथ दो मेरा या छोड़ दो स्वछंद,
नापने को अपने हिस्से का आसमान,
न कि लपेटते रहो मुझ पर,
समाज की दकियानूसी मजबूरियाँ;
मेरी जिजिविषा भी समझो जीने की,
अपनी काबिलियत साबित करने की,
इसलिए तन की सुंदरता के बजाय,
तुम कोशिश करो देखने की मेरी खूबियाँ;
तुम शायद विचलित हो भी जाओ,
बस कुछ दिन के अलगावों मैं,
पर अविचल रह सकती हूँ मैं,
चाहे कितनी भी लम्बी हो दूरियाँ।
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—(Copyright@भावना मौर्य “तरंगिणी”)—
(Cover Image: yourquote/restzone)