अगर आप Mutual Fund में निवेश करने जा रहे है तो जान लें 1 जनवरी से होंगे यह बदलाव

अगर आप नए साल में म्यूचुअल फंड में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो ये आपके लिए जरूरी खबर है...सेबी 1 जनवरी 2021 से म्यूचुअल फंड के नियमों में बदलाव करने जा रहे हैं। म्यूचुअल फंड्स को निवेशकों के लिए अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए नए साल में भी म्यूचुअल फंड्स में निवेश के कई नियमों में बदलाव होने जा रहा है। तो आप निवेश से पहले इन नियमों के बारे में जरूर जान लें, जिससे बाद में आपको परेशानी न हो..
75% हिस्सा इक्विटी में इंवेस्ट करना होगा अनिवार्य
1 जनवरी, 2021 से म्यूचुअल फंड निवेश के नियमों में जो बदलाव हो रहे हैं। नए नियमों के अनुसार अब इन फंड्स में कम से कम 75 हिस्सा इक्विटी में निवेश करना आवश्यक है। इससे पहले यह सीमा 65 फीसदी थी, जिसे बढ़ाकर 75 फीसदी कर दी है। इसके अलावा मल्टी कैप इक्विटी म्यूचुअल फंड्स स्कीम्स में कम से कम 25-25% हिस्सा लार्ज कैप, मिडकैप और स्मॉल कैप स्टॉक्स में निवेश करना होगा।
NAV कैल्कुलेशन में बदलाव
1 जनवरी 2021 से नेट एसेट वैल्यू यानी परचेज NAV एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के पास पैसे पहुंच जाने के बाद मिलेगा, चाहे इंवेस्टमेंट का साइज कितना बड़ा क्यों न हो। बता दें कि यह लिक्विड और ओवरनाइट म्यूचुअल फंड स्कीम पर लागू नहीं होगा।
इंटर-स्कीम ट्रांसफर के नियम बदलेंगे
1 जनवरी, 2021 से क्लोज इंडेड फंड्स (close-ended funds) का इंटर-स्कीम ट्रांसफर (inter-scheme transfer) निवेशकों को स्कीम की यूनिट एलॉट होने के केवल 3 बिजनेस डेज के अंदर करना होगा।
डिविडेंड ऑप्शन का नाम बदलेगा
प्रैल महीने से म्यूचुअल फंड्स को डिविडेंड ऑप्शंस का नाम बदलकर इनकम डिस्ट्रीब्यूशन कम कैपिटल विड्रॉअल (income distribution cum capital withdrawal) करना होगा। सेबी की ओर से इसका निर्देश पहले ही दिया जा चुका है।
नया रिस्कोमीटर टूल
सेबी निवेशकों को निवेश के पहले रिस्क का अंदाजा लगाने के लिए एक रिस्कोमीटर टूल की सुविधा देता है। अब इस टूल में 1 जनवरी 2021 से Very High Risk की कैटेगरी भी जोड़ दी गई है, ताकि निवेशकों को पहले कुछ अंदाजा लग जाए। यह 1 जनवरी से लागू हो जाएगा और इसके मूल्यांकन भी हर महीने के हिसाब से किया जाएगा। इसके अलावा म्यूचुअल फंड को कई अन्य जानकारी भी रिस्को मीटर के लिए देनी होगी।