कहीं किसान आंदोलन, शाहीनबाग तो नही

देश के दुश्मनों ने फिर नया प्रयोग तो नहीं किया है? शाहीनबाग की तरह दिल्ली फिर बन्द, और दंगे होने की संभावना है, हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा था। इस आंदोलन में खालिस्तान समर्थक हैं।यदि कृषि बिल को देखे तो वह किसान के पक्ष का है, जो मांगे है,वो उसमे मौजूद है,अगर कुछ मांगे है जो जायज नही है, ऐसा तो हर आदमी रोड जाम करके अपनी नजायज को मनवायेगा, सोचनीय बात ये है, आखिर लोग ऐसा कर क्यो रही है, मोदी सरकार से पहले भी सरकार थी, तब क्यो नही ऐसा किया?ये किसान ऑंदोलन ही है न?, भारतीय किसान ,सौम्य और सरल होता है वो कभी ऐसा नही कर सकता।
आंदोलन में लाल और हरे रंग वाले देशविरोधी स्लीपर सैल तन मन धन से सक्रिय नज़र आते है .. जिनका उद्देश्य भारत को तोड़ना है . खालिस्तान के झंडे से मैच करते झंडे,भिंडरावाले की फ़ोटो , मस्जिदों में लंगर,सिख रूप धारण किये हुये के देश विरोधी,हमने इंदिरा को मारा है मोदी क्या चीज़ है ? ये किसी किसान ऑंदोलन का प्रमुख स्वर हो सकते है क्या?
पीछे जाए, दिल्ली दंगे की जांच के बाद, जे एन यू , आदि में देश विरोधी निकले, जो शाहीनबाग और जे एन यू के साथ थे , अब वो राजनेता मुखर हो चुके हैं।
अगर प्रश्न पूछोगे तो देश द्रोही कहलाओगे ऐसा मीडिया में प्रचलन है, मगर देश द्रोही के पक्ष में या देश को तोड़ने वाले, भ्रामक प्रचार, देश को नुकसान पहुचाने वाले सवाल ही क्यो।
सोचनीय यही बात है, कंही ऐसा न हो कि शाहीन बाग वाली दादी भी किसान निकले। -एक आर्य