केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में कामगारों को यात्रा भत्ता देने की योजना बनाई

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में कामगारों को यात्रा भत्ता देने की योजना बनाई है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की अधिसूचना में यह बात शामिल की गई है कि किसी भी संस्थान के कामगारों को साल में एक बार अंतरराज्यीय यात्रा के लिए भत्ता दिया जाएगा। कामगार को ट्रेन में कम से कम द्वितीय श्रेणी के सफर की सुविधा मिलेगी। यदि वह रोजगार वाली जगह से अपने गृह राज्य में बस से जाता है तो भी उसे निर्धारित भत्ता राशि दी जाएगी। इसके लिए कामगार को केवल एक शर्त पूरी करनी होगी। वह शर्त ये है कि उसने पूर्ववर्ती 12 माह के दौरान संबंधित प्रतिष्ठान में 180 दिन काम किया हो। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कामगारों के कल्याण को लेकर कई नए प्रावधान शामिल किए हैं। लोगों के सुझाव लेने के लिए यह अधिसूचना जारी की गई है। एक माह के बाद इसे अंतिम रूप देकर लागू कर दिया जाएगा। अभी तक कामगारों को इस तरह का भत्ता नहीं मिलता था। केंद्र सरकार ने अब सभी प्रतिष्ठानों के कामगारों को यात्रा भत्ता देने का नियम बनाया गया है।
यदि कोई कामगार एक साल की अवधि के बीच में अपना नियोक्ता बदल लेता है तो भी उसे यात्रा भत्ता दिया जाएगा। हालांकि इसके लिए कामगार को अपने नए नियोक्ता यानी प्रतिष्ठान को एक शपथ पत्र देना होगा। इसमें लिखा होगा कि उसने अपने पूर्व नियोक्ता के यहां पर 180 दिन की कार्य अवधि पूरी की है और उसने कोई यात्रा भत्ता नहीं लिया है। ऐसी स्थिति में नए प्रतिष्ठान को उस कामगार के लिए यात्रा भत्ता जारी करना पड़ेगा। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा कामगारों के हितों की रक्षा करने और उनकी शिकायतों का निवारण करने के लिए एक टोल फ्री नंबर जारी किया जाएगा। इस नंबर पर कोई भी कामगार अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। केंद्र सरकार अंतर-राज्यिक प्रवासी कामगारों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने की दिशा में जो भी कदम उठाएगी, समय-समय पर उनका निरीक्षण कर सकती है। सभी योजनाओं पर नजर रखने के लिए एक सिस्टम तैयार किया जाएगा। इसके लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों और संगठनों से राय लेने की बात कही गई है।