कवितायें और कहानियाँ
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शब्द-सरिता
उम्मीदों की शाख पर, तिनके-तिनके जोड़कर, रोज़ घोसलें बनाती हूँ मैं, जिन्हें तेज हवायें अक्सर, आवेग से गिरा जाती हैं,
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जादू है या तिलिस्म
जादू है या तिलिस्म, पर कुछ तो है, तेरी मौजूदगी का मुझ पर, असर कुछ यूँ है;
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शब्द बोलते हैं
शब्द भी बोलते हैं अक्सर मैंने सुना है, इन्हें सजाते हुए कितने ही, जज़्बातों को बुना है।
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तेरा-मेरा संयोग
तेरा-मेरा संयोग है कुछ ऐसा कि...... साँझ सा तू ढलने लगा जो, हम लालिमा बन अलिंगन कर लेंगे
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तुम्हें मुस्कुराते हुये देखना
तुम्हें मुस्कुराते हुये देखना, अब मेरा शगल बन गया है, उदासियाँ तेरे चेहरे पर, मुझे बिल्कुल भाती नहीं हैं;
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सीख चुके हैं हम
टूट कर फिर संभलना, सीख चुके हैं हम, वक्त के हिसाब से ढलना, सीख चुके हैं हम;
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मेरे शब्द खोने लगते हैं
जब सोचती हूँ कुछ शब्द दूँ - तुम संग मेरे साथ को, जो करती हूँ मैं तुम पर, उस अटूट…
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इश्क इज़हार चाहता है
जब से तेरी खामोशियों को, गौर से पढ़ने लगे हैं हम; तब से तुमसे और भी ज्यादा,.....
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कुंभ मेले में स्नान करने से श्रद्धालु धर्म संबंधी सारी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करते हैं
कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ ने जीवनदायी अनुभव प्रदान किया। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में स्थित प्रयाग तट…
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