रिश्तें और जीवन की जटिलता

चाहतें हैं दिल से,
कि रिश्तों में ईमानदार रहा जाये,
जटिलता पहले से ही, बहुत है ज़िन्दगी में;
तो क्यों न रिश्तों के मध्य, संवादों को आसान करा जाये।
दौलत होती नहीं सब कुछ, जीवन में सदा;
क्यों न अपने, अपनों का पूरा अरमान करा जाये।
जटिलता पहले से ही, बहुत है ज़िन्दगी में;
आओं खुश रहने के तरीकों को आसान करा जाये।
जिन्होंने धोखा दिया, वो भी कुछ सिखा ही गये हमें;
इसलिये, दिल ने कहा कि उनका भी दिल से सम्मान करा जाये।
कुछ कर जायें हम ऐसा कि खुशियाँ हों दूसरों की,
पर उनको पूरा करने पर मुस्कान, हमारे होठों पर भी आ जाये।
जटिलता पहले से ही, बहुत है ज़िन्दगी में;
ये ज़रूरी है समय रहते ही, ये सच स्वीकार करा जाये-
कि “आज” सबसे कीमती है, न वापस आयेगा कभी ये;
इसीलिए समय रूपी दौलत देकर,अपनों को धनवान करा जाये।
सम्मान पाने के लिये ज़रूरी है यही कि,
दूसरों का भी दिल से सम्मान करा जाये।
जटिलता पहले से ही है, बहुत ज़िन्दगी में;
चलो आज से रिश्तों के मध्य संवादों को आसान करा जाये।
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——–(Copyright@भावना मौर्य “तरंगिणी”)——–