नहीं थम रहा नए संसद के उद्घाटन पर विवाद, जुबानी जंग हुई और तेज

28 मई का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन उद्घाटन समारोह के विरोध में देश के 19 राजनैतिक दल आ गए है और इन पार्टियों ने इस समारोह के बहिष्कार करने का निर्णय किया है, इन दलों का कहना है कि सरकार ने इस समारहो में राष्ट्रपति को न बुलाकर उनका अपमान किया है तथा यह लोकतंत्र पर हमला है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका
नए संसद भवन उद्घाटन को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है जिसमे कहा गया है कि कोर्ट लोकसभा सचिवालय को आदेश दे कि नए संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा ही कराया जाये, याचिका में अनुच्छेद 79 का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि ‘भारत की संसद’ राष्ट्रपति राज्यसभा तथा लोकसभा से मिलकर बनती है तथा राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग व अभिरक्षक भी होता है।
सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ध्वस्त कर दिया: मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि “संसद, जनता द्वारा स्थापित लोकतंत्र का मंदिर है, महामहिम राष्ट्रपति का पद संसद का प्रथम अंग है, आपकी सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है तथा 140 करोड़ भारतीय जानना चाहते हैं कि भारत के राष्ट्रपति से संसद भवन के उद्घाटन का हक़ छीनकर आप क्या जताना चाहते हैं ?”, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि “राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है, संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।”
मोदी का विरोध तो ठीक है लेकिन देश का विरोध ठीक नहीं: आचार्य प्रमोद कृष्णम
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि संसद भवन “भाजपा” का नहीं पूरे देश का है, मोदी का विरोध तो ठीक है लेकिन “देश” का “विरोध” ठीक नहीं, उन्होंने कहा “देश की “संसद” का उद्घाटन देश का प्रधान मंत्री नहीं करेगा तो क्या पाकिस्तान का प्रधान मन्त्री करेगा….?”
राष्ट्रपति द्वारा नए संसद का उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर बहिष्कार अनुचित: पूर्व मुख्यमंत्री मायावती
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री तथा BSP सुप्रीमो मायावती ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि उनकी पार्टी 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन का उनकी पार्टी स्वागत करती है उन्होंने कहा कि “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा नए संसद का उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर बहिष्कार अनुचित है, सरकार ने इसको बनाया है इसलिए उसके उद्घाटन का उसे हक है। इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोड़ना भी अनुचित। यह उन्हें निर्विरोध न चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था”