क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप ने 20 से 26 जुलाई, 2023 तक के लिए जारी किये मौसम पूर्वानुमान
क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की वर्ष 2023-24 की सप्तम् बैठक डा. संजय सिंह, महानिदेशक उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद की अध्यक्षता में उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद में सम्पन्न हुई। प्रदेश में मौसम के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में किसानों को अगले सप्ताह कृषि प्रबन्धन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये हैं। किसानों को परामर्श जारी किया गया है कि आगामी सप्ताह (दिनांक 20 से 26 जुलाई, 2023 तक) के प्रथम चरण (20 से 23 जुलाई, 2023) के दौरान प्रदेश के पश्चिमी, पूर्वी, मध्य व बुंदेलखण्ड के जनपदों में मानसूनी गतिविधियां कमजोर रहने तथा इस दौरान कहीं-कहीं छिटपुट वर्षा होने की संभावना है। इसके उपरांत प्रदेश के पूर्वी भाग को छोड़कर अन्य अंचलों पश्चिमी, मध्य व बुंदेलखण्ड में वर्षा की तीव्रता एवं क्षेत्रफलीय वितरण में वृद्धि होने की संभावना है।
उ0प्र0 कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी एवं मीडिया प्रभारी विनोद कुमार तिवारी ने बताया कि बैठक के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि उक्त मौसमी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किसानों को चाहिये कि जिन क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हुई है उन क्षेत्रों में कृषक दलहनी, तिलहनी व श्रीअन्न फसलों की बुवाई प्राथमिकता के आधार पर करें। दलहनी फसलों का बीज यदि उपचारित नहीं है तो संस्तुति अनुसार विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से अवश्य उपचारित करें। धान की रोपाई का कार्य कृषक यथाशीघ्र पूर्ण करें।
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में बाजरा की संकुल किस्मों घनशक्ति, डब्लू.सी.सी.-75, आई.सी.एम.बी.-155, आई.सी.टी.पी.-8203, राज-171 तथा न.दे.पफ.बी.-3 तथा संकर किस्मों 86 एम 84, पूसा-322, आई.सी.एम.एच.-451 तथा पूसा-23 की बुवाई करें। कोदों की किस्मों यथा जी.पी.वी.के.-3, ए.पी.के.-1, जे.के.-2, जे.के.-62, वम्बन-1 व जे.के.-6 की बुवाई करें। मूंग की किस्मों यथा आजाद मूंग-1, पूसा-1431, मेहा 99-125, एम.एच.-2.15, टी.एम.-9937, मालवीय, जनकल्याणी, मालवीय, जनचेतना, मालवीय जनप्रिया, मालवीय जागृति, मालवीय ज्योति, पंत मूंग 4, नरेन्द्र मूंग-1, पी.डी.एम.-11, आशा, विराट एवं शिखा की बुवाई करें। बीज का उपचार मूंग के विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से अवश्य करें।
उर्द की किस्मों यथा शेखर-1, शेखर-2, शेखर-3, आई.पी.यू.-94-1, नरेन्द्र उर्द-1, पंत उर्द-9, पंत उर्द-8, आजाद-3, डब्लू.बी.यू.-108, पंत उर्द-31, आई.पी.यू.-2-43, तथा आई.पी.यू.- 13-1 की बुवाई करें। बीज का उपचार उर्द के विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से अवश्य करें। अरहर की अधिक उपज हेतु देर से पकने वाली उन्नत किस्मों यथा मालवीय चमत्कार, नरेन्द्र अरहर-2, बहार, अमर, नरेन्द्र अरहर-1, आजाद, पूसा-9, मालवीय विकास (एम.ए.6), टा-64, टा-28, चन्द्रा, उत्कर्ष, एम-13, अम्बर, चित्रा, कौशल, टी.जी.-37, आई.पी.एल.-203, आई.पी.एल.-206 प्रकाश की बुवाई करें।
तिल की उन्नतशील किस्मों यथा गुजरात तिल-6, आर.टी.-346, आर.टी.-351, तरूण, प्रगति, शेखर टाइप-78, टाइप-13, टाइप-4, आर.टी.-372 व टाइप-12 की बुवाई करें। तिल में फाइलोडी रोग से बचाव हेतु आक्सीडिमेटान मिथाइल 25 प्रतिशत ई.सी. 01 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। मूॅंगफली की उन्नतशील किस्मों चन्द्रा, उत्कर्ष, एम-13, अम्बर, चित्रा (एम.ए.10), कौशल, टी.जी. 37ए, प्रकाश की बुआई पूर्ण कर लें। देर से बुआई करने पर फसल में बडनिक्रोसिस बीमारी लगने की संभावना ज्यादा होती है। गन्ना के कीट जैसे तना बेधक व पोरी बेधक के नियंत्रण हेतु अन्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा कीलोनिस के 50 हजार वयस्क कीट प्रति हे. 10 दिनों के अन्तराल पर जुलाई से सितम्बर तक पत्तियों में बांधें।
फलों की गुणवत्तायुक्त पौध हेतु सहारनपुर, लखनऊ, प्रयागराज, बस्ती तथा झांसी में स्थापित केन्द्रों तथा केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ से सम्पर्क करें।
वर्तमान में खुरपका एवं मुहपका बीमारी (एफ.एम.डी.) का टीकाकरण सभी पशुचिकित्सालयों में कराया जा रहा है। यह सुविधा सभी पशुचिकित्सालयों पर निशुल्क उपलब्ध है। बड़े पशुओं में गलाघोटू की रोकथाम हेतु एच.एस. वैक्सीन से तथा लंगड़िया बुखार की रोकथाम हेतु बी क्यू वैक्सीन से टीकाकरण करायें। लम्पी स्किन रोग (एलएसडी) एक विषाणु जनित रोग है, जिसकी रोकथाम हेतु पशुपालन विभाग द्वारा टीकाकरण प्रोग्राम चलाया जा रहा है। सभी कृषक/पशु पालक अपने निकटतम पशु चिकित्सालय से सम्पर्क कर इसकी रोकथाम संबंधी उपाय एवं टीकाकरण की जानकारी ले सकते हैं। कृषकों/पशुपालकों के द्वार पर पशुचिकित्सा उपलब्ध कराने हेतु विभाग के द्वारा मोबाइल वेटनरी यूनिट योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना का लाभ लेने हेतु सभी कृषक/पशुपालक टोल फ्री हेल्पलाइन नं.-1962 पर सम्पर्क पर योजना का लाभ ले सकते हैं।
तालाब में मत्स्य बीज का संचय प्रातः काल अथवा संध्या के समय जबकि तापक्रम कम हो, करना चाहिय। कार्प मछलियों की 50 मिमी. अथवा अधिक आकार की 10000 स्वस्थ्य अंगुलिकायें प्रति हे. की दर से संचय की जा सकती हैं। निगम की हैचरियों पर मत्स्य बीज उपलब्ध है। अतः सभी मत्स्य पालक अपने तालाबों में मत्स्य बीज संचय करें और मत्स्य बीज का मॉग पत्र जनपद स्तर पर मत्स्य विभाग को कार्यालय में जमा कर दें।
रेशम कीटपालन के इच्छुक कृषक अपने नजदीकी रेशम अधिकारी/प्रभारी से सम्पर्क कर जानकारी प्राप्त कर कीटपालन कार्य करें। वृक्षारोपण हेतु मौसम अनुकूल है अतः वृक्षारोपण करें। प्रदेश में वृक्षारोपण कार्यक्रम के अन्तर्गत दिनांक 22 जुलाई, 2023 को 30 करोड़ पौधे लगाये जाने का संकल्प है। अतः सभी किसान भाई-बहन अपने प्रक्षेत्रों में तथा अनुपयोगी भूमि में वृक्षारोपण कर इस कार्यक्रम को सफल बनायें।