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कुत्ते के काटने से डेढ़ महीने बाद हुई मौत, 25 साल बाद भी लौट सकता है रेबीज

गाजियाबाद का एक दर्दनाक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में एक 14 साल का बच्चा रेबीज से तड़पता हुआ नजर आ रहा है। इस बच्चे को करीब डेढ़ महीने पहले कुत्ते ने काट लिया था और AIIMS समेत तमाम बड़े अस्पतालों ने लाइलाज घोषित कर दिया। वीडियो में देखा जा सकता है कि बच्चा एम्बुलेंस में तड़प-तड़पकर अपने पिता की गोद में ही दम तोड़ देता है।

बच्चे के पिता की माने तो 1 सितंबर को अचानक उनके बेटे की हरकतें अजीब हो गईं। जिसके बाद उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि बच्चे को रेबीज हो गया है। रेबीज का पता चलने के बाद बच्चे को GTB और AIIMS दिल्ली में दिखाया लेकिन इलाज नहीं हो सका। बच्चे ने डांट पड़ने के डर से कुत्ते के काटने वाली बात घर में नहीं बताई थी।

एक बार रेबीज हो जाए तो काम नहीं आता कोई इलाज

रेबीज का वायरस दुनियाभर में हर 10 मिनट में एक व्यक्ति की जान ले रहा है। मेडिकल साइंस करीब 4500 साल से आज तक इस बीमारी का इलाज नहीं खोज पाया है। इंसानी शरीर में एक बार रेबीज का वायरस एक्टिव हो जाए तो उसे बचाया नहीं जा सकता।

इसलिए इस मामले में जानकारी ही बचाव है। रेबीज का वायरस संक्रमित जानवर की लार में रहता है। रेबीज कुत्ते, बिल्ली, बंदर या चमगादड़ से फैल सकता है। लेकिन रेबीज के 90 फीसदी से ज्यादा मामले कुत्ते के काटने से ही आते हैं।

रेबीज होने के लक्षण

“कुत्ते के काटने पर न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम हो सकते हैं। पीड़ित पानी नहीं पी पाता और उसे पानी से डर लगता है। हाथ-पैर ऐंठने लगते हैं। कभी-कभी कुत्तों के भौंकने के लक्षण भी आ जाते हैं। कई बार बेहद अजीब से लक्षण दिखाई देते हैं।”

रेबीज के इन लक्षणों को भी जानें

रेबीज के लक्षण किसी में कुछ ही महीने, जब कि कुछ लोगों में सालों बाद देखने को मिलते हैं।
इस बीमारी में हाइड्रोफोबिया (पानी से डर) हो जाता है। एक ग्लास पानी भी बीमार को डरा सकता है।
गले में घुटन महसूस होती है, जिसकी वजह से सांस लेने में परेशानी होती है।
रोगी को रौशनी से डर लगता है और वो अंधेरे में रहना पसंद करता है।
नाक और मुंह से लगातार लार गिरती है और व्यक्ति उसे कंट्रोल नहीं कर पाता है।
समय के साथ कमर, रीढ़ और फिर पूरे शरीर में दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है।
ज्यादातर लोग रैबीज से उबरने में नाकामयाब होते हैं और उनकी मौत हो जाती है।
डॉक्टर की सलाह मानें, तुरंत इलाज करवाएं और इंजेक्शन लेने से न बचें।

कुत्ते के काटने पर सबसे पहले क्या करें?

72 घंटे में एंटी रेबीज इंजेक्शन बेहद जरूरी है। वर्ना दवा का असर नहीं होगा, कोई अनजान या जंगली जानवर काटे या खरोंच मारे तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं। अगर पालतू कुत्ते और बिल्ली को रेबीज का टीका नहीं लगवाया है और वह काट लें, तब भी डॉक्टर से मिलें।

“इसका ट्रटीमेंट मुश्किल होता है। अगर कुत्ता काटे तो बिना देरी किए एन्टी रेबीज का टीका लगवाएं। ये समझना होगा कि शरीर में यदि रेबीज का अटैक हो गया तो बच पाना मुश्किल हो जाता है। इसीलिए पहले से ही सावधानी बरतें और सजग रहे।”

एंटी रेबीज के लगते हैं 4 इंजेक्शन

डॉक्टर ने इस संबंध में कहा, “जहां पर डॉग बाइट हो, उसको आधे घंटे तक लाइफबॉय साबुन से धुलते रहे। जिस जगह पर जख्म हो, उसे बांधना नहीं है। उसको खुला रखना है। किसी एक्सपर्ट डॉक्टर से एंटी रेबीज के इंजेक्शन जरूर लगवाए। एंटी रेबीज के चार इंजेक्शन लगते हैं। पहला 0 दिन, दूसरा तीसरे दिन, तीसरा 7वें दिन और चौथा इंजेक्शन 28वें दिन में लगवाना होता है।”

काटने के बाद ये सबसे महत्त्वपूर्ण बात, जिसे जानना जरूरी

कुत्ते के काटने से हुए घाव पर लाल मिर्च, गोबर और कॉफी पाउडर जैसी चीजें न लगाएं। न ही घाव को किसी चीज से सेंके। ये चीजें रेबीज से तो बचाएंगी नहीं, घाव को और घातक जरूर बना देंगी। जिस जानवर ने काटा है, संभव हो तो उस पर करीब 10 दिन तक नजर रखें। अगर वह बीमार दिखे या कुछ दिनों में ही मर जाए तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। उसमें रेबीज के लक्षण दिखें तो जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के हवाले कर दें।

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