विशेष खबर

आने वाली है देवशयनी एकादशी ,भूलकर भी ना करे तुलसी से जुड़ी ये गलतिया

देवशयनी एकादशी, जिसे आषाढ़ी एकादशी या पद्मा एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू कैलेंडर में एक शुभ दिन है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु इस दिन सो जाते हैं और चार महीने बाद प्रबोधिनी एकादशी को जागते हैं। तुलसी (पवित्र तुलसी के रूप में भी जाना जाता है) हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण महत्व रखती है और इसे पवित्र माना जाता है। देवशयनी एकादशी के दौरान तुलसी से जुड़ी कुछ गलतियां इस प्रकार हैं:

1 -तुलसी के पत्ते तोड़ना : देवशयनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना अशुभ माना जाता है। इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने से बचें, क्योंकि यह पौधे को मारने या नुकसान पहुंचाने के बराबर माना जाता है। इसके बजाय, आप किसी धार्मिक उद्देश्य के लिए गिरी हुई या सूखी पत्तियों का उपयोग कर सकते हैं।

2 -तुलसी के पौधे को काटना या छँटाई करना: इसी तरह इस दिन तुलसी के पौधे को काटने या छँटाई करने से बचें। पौधे के विकास को नुकसान पहुँचाने या परेशान करने वाले किसी भी कार्य को हतोत्साहित किया जाता है। इसे तुलसी की दिव्य उपस्थिति के प्रति अपमानजनक माना जाता है।

3 -जल ना चढ़ाना : तुलसी के पौधों की पूजा आमतौर पर भक्तों द्वारा प्रतिदिन की जाती है और उन्हें जल चढ़ाया जाता है। देवशयनी एकादशी पर, प्रथागत अनुष्ठानों के भाग के रूप में तुलसी के पौधे को जल चढ़ाना आवश्यक है। ऐसा न करना अशुभ माना जा सकता है।

4 -तुलसी पूजा की उपेक्षा: भक्त अक्सर तुलसी की नियमित पूजा करते हैं, पूजा, धूप, फूल चढ़ाते हैं और दीपक जलाते हैं। देवशयनी एकादशी पर तुलसी पूजन का विशेष रूप से अत्यधिक आदर और ध्यान देने का महत्व है। प्रथागत अनुष्ठानों की उपेक्षा को अनादर के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।

5 -तुलसी के पत्तों को बिना अनुमति के खाना: तुलसी के पत्तों को पवित्र माना जाता है और अक्सर धार्मिक समारोहों और औषधीय तैयारी में इसका उपयोग किया जाता है। यह सलाह दी जाती है कि देवशयनी एकादशी पर प्रार्थना या अनुष्ठान भेंट के माध्यम से बिना अनुमति के तुलसी के पत्तों का सेवन न करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button