अपनी योग्यता का गलत इस्तेमाल न करें!

जब कोई व्यक्ति घमंड करने लगता है तो उसकी योग्यता खत्म होने लगती है!आइये जाने कैसे -संत कबीर के बेटे से जुड़ा किस्सा है। कबीरदास के बेटे का नाम कमाल था। एक दिन कबीरदास जी घर पर नहीं थे। उस समय कुछ लोग एक शव लेकर आए थे। घर पर कमाल था। कमाल से लोग कबीर जी के बारे में पूछ रहे थे। कमाल ने अपने हाथ में गंगाजल लिया और राम नाम लेकर उस शव पर डाल दिया। वह मरा हुआ व्यक्ति अचानक जीवित हो गया।
सभी लोग कमाल की जय-जयकार करके लौट गए। जब कबीरदास जी घर वापस आए तो कमाल ने पूरी घटना बता दी। ये बातें सुनकर कबीरदास जी बहुत हैरान थे।कमाल को खुद पर घमंड हो गया। उसने कहा कि आप कहीं तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते थे तो आप जा सकते हैं, अब कुटिया में संभाल लूंगा।
कबीरदास जी समझ गए कि कमाल ने जो तप किया है, उसका इसे घमंड हो गया है। कबीरदास जी ने कमाल को एक चिट्ठी देकर सूरदास जी के पास भेजा और उसे समझाया कि इस चिट्ठी को खोलना नहीं है।जब कमाल चिट्ठी लेकर सुरदास जी के पास पहुंचा और उन्हें चिट्ठी दे दी। उन्होंने ने चिट्ठी खोली तो उसमें लिखा था कि कमाल भयो कपूत, कबीर को कुल गयो डूब।
चिट्ठी लेकर सुरदास जी ने अपने पास रख लिया। उनके यहां भी बीमार लोगों की भीड़ लगी रहती थी। कमाल ने देखा कि उन्होंने सभी बीमार लोगों पर एक साथ गंगाजल डाला तो वे सभी ठीक हो गए।
कमाल ये देखकर हैरान था। सूरदास जी ने कमाल से कुछ देर बात की और कहा कि जाओ पीछे नदी में एक युवक डूब रहा है, उसे बचा लो।
ये बात सुनकर कमाल तुरंत ही नदी की ओर भागा, वहां सच में एक युवक डूब रहा था, कमाल ने उसे बचा लिया।
उस व्यक्ति को नदी से बाहर निकाल कर कमाल वापस सूरदास जी के पास पहुंचा तो उसे समझ आया कि ये देख ही नहीं सकते। कमाल को समझ नहीं आया कि जब ये देख नहीं सकते तो मेरे पिता ने इनके पास मुझे चिट्ठी देकर क्यों भेजा?
कुछ देर बाद कमाल को समझ आ गया कि मेरे पिता ने मेरा घमंड दूर करने के लिए मुझे इनके पास भेजा है। मुझे मेरी सिद्धि का घमंड हो गया था और मेरे पिता ये बात समझ गए थे। सिद्धियां तो कई लोगों के पास हैं, लेकिन कोई भी इनका घमंड नहीं करता है और इनका गलत उपयोग नहीं करता है। ये बात समझ आने के बाद कमाल ने भी अपना घमंड छोड़ने का संकल्प लिया।