एक गलती के कारण धरती में खुला नर्क का दरवाजा, लोगों को पंहुचा रहा नुक्सान

आपने दुनिया में कई तरह के अजूबो के बारे में सुना और देखा होगा, कुछ अजूबे इंसानो द्वारा बनाये गए हैं, और कुछ प्रकति द्वारा। इनमे से कुछ को देखकर आपको ऐसा भी लग सकता हैं की ये इस दुनिया के हैं ही नहीं जरूर ये किसी और ग्रह के लोगो द्वारा बनाया गये होंगे।
आज हम ऐसे ही एक अजूबे की बात करने जा रहें हैं ,जिसे लोग नर्क का दरवाजा कहते हैं , ये नर्क का दरवाजा तुर्कमेनिस्तान में स्थित है, सूत्रों के मुताबिक इस जगह से लगातार बीते 50 वर्षों से आग निकल रही है, जो सब को हैरान कर रही हैं, इस आग की तपन बहुत ज्यादा है, अगर आप इसके करीब भी जाते हो आप बुरी तरह से जल जाओगे , बताया जाता हैं कि तुर्कमेनिस्तान में एक काफी गहरा गड्ढा स्थित है, जो 230 फीट चौड़ा भी है, जिससे लगातार आग निकलती रहती हैं, जिस कारण ये काफी मशहूर हैं, लोग इसे नर्क के दरवाजे के नाम से जानते हैं।
कैसे लगी आग और कब से हैं जल रही
तुर्कमेनिस्तान के लोगो के अनुसार ये गड्ढा पहले यहां पर नहीं था, बताया जाता हैं कि सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान सोवियत संघ की हालत काफी खराब होने लगी थी जिस कारण उन्होंने तेल और प्राकृतिक गैसों की खोज करनी शुरू कर दी उन्होंने इसके लिए रेगिस्तान तक में खुदाई कराई इसी बीच उन्हें खुदाई के दौरान एक जगह ऐसी मिली जहां काफी मात्रा में गैस भरी हुई थी, जिसे निकालने की कोशिश भी की गयी, लेकिन वो इसमें सफल नहीं हो सके, गड्ढे से गैस तो नहीं निकली लेकिन ये जगह अचानक से नीचे की ओर धंसने लग गयी जिस दौरान इसमें आग भी लग गई, तब से ये आग आज भी लगातार जल रही है, कुछ लोग इस जगह को शापित मानते रहे, उनका कहना हैं कि इस जमीन के नीचे शैतान रहते थे और अभी भी रहते हैं, उनके गुस्से के कारण ये आग आज भी जल रही हैं।
हालांकि, इस 230 फीट चौड़े गड्ढे के बारे में वैज्ञानिक का दावा हैं कि गड्ढे में ये आग इसके अंदर मौजूद गैसो के कारणों से लगी रहती हैं, जो काफी भारी मात्रा में हैं, ये गैस बीते 50 वर्षों से रिस रही है, जिस कारण ये आग निरंतर धधक रही है, ये गड्ढा तुर्कमेनिस्तान के अश्गाब शहर से 160 मील दूर में स्थित एक काराकुम रेगिस्तान में मौजूद हैं। जो आज भी पूरी दुनिया के लिए रहस्य बना हुआ है, पुराने ज़माने में अंग्रेजो ने इसे गेट ऑफ हेल या माउथ ऑफ हेल का नाम दिया हैं। कहा जा रहा है कि इससे आसपास रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है, जो इन्हें काफी नुक्सान पंहुचा रहा हैं।
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