
कावर झील एशियाकी सबसे बड़ी शुद्ध पानी की झील है। यह बेगूसराय जिले में मीठे पानी की एक उथली झील के तोर पर जानी जाती हैं । जिसे स्थानीय रूप से काबर ताल, कनवार ताल या कावर ताल भी कहते हैं। इस बर्ड संचुरी मे 107 तरह के देशी पक्षी और 51 तरह के विदेशी पक्षी ठंड के मौसम मे देखे जा सकते है। कांवर झील को भारत देश का 39वां ‘रामसर साइट’ भी घोषित किया गया है।
कांवर झील में सर्दियों के दिनों में साइबेरिया के प्रवासी पक्षी आते हैं। दिन रात लम्बे समुद्रों, रेतीले मरूस्थलों तथा बर्फ से ढंके ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच से रास्ता ढूंढते हुए ये पक्षी हजारो मील का सफर तय करते हुए यहां पहुंच जाते हैं। यहाँ आने वाले मेहमान पक्षी में लालसर, दिधौंच, सरायर, कारण, डुमरी, अधंग्गी, बोदइन एवं कोइरा सहित अन्य पंछी है। ये विदेशी पंछी अनुकूल वातावरण तथा भोजन की तलाश में यहां आते है।
अपनी उत्कृष्ट जलवायु, जैव विविधता तथा संतुलित आहारयुक्त वातावरण के कारण ही कावर झील हमेशा से ही प्रवासी पक्षियों को अपनी और आकर्षित करती रही है। यहां विभिन्न प्रजातियों के पक्षी प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पहुंचते हैं।
कांवर झील पर्यावरण की दृष्टि से काफी खास और पर्यटन के लिए अपार संभावनाएं समेटे हुए है। बीते वर्षों में इनकी संख्या में कमी आयी है । बेगूसराय जिले की कावर झील विश्व धरोहर होने के बावजूद धीरे-धीरे अपनी पहचान खोती जा रही है। स्थानीय लोगों द्वारा इसका शिकार जारी है। प्रवासी पक्षी भी जाल में फंस जाते हैं, जिन्हें चोरी छिपे ऊंचे दामों में बेच दिया जाता है। कभी झील सुन्दर खिले कमल झील की शोभा बढ़ाते थे। वहाँ आज एक भी कमल नहीं दिखाई देता है।
कावर झील एशिया का सबसे बड़ी शुद्ध जल की झील है। यह बेगूसराय जिले में मीठे पानी की एक उथली झील है। जिसे स्थानीय रूप से काबर ताल, कनवार ताल या कावर ताल भी कहते हैं। इस बर्ड संचुरी मे 107 तरह के देसी पक्षी और 51 तरह के विदेशी पक्षी ठंडे के मौसम मे देखे जा सकते है। कांवर झील को भारत देश का 39वां ‘रामसर साइट’ घोषित किया गया है।
कांवर झील में सर्दियों के दिनों में साइबेरिया के प्रवासी पक्षी आते हैं। दिन रात लम्बे समुद्रों, रेतीले मरूस्थलों तथा बर्फ से ढंके ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच से रास्ता ढूंढते हुए हजारो मील का सफर तय करते हुए पहुंच जाते हैं। यहाँ आने वाले मेहमान पक्षी में लालसर, दिधौंच, सरायर, कारण, डुमरी, अधंग्गी, बोदइन एवं कोइरा सहित अन्य पंछी है। ये विदेशी पंछी अनुकूल वातावरण तथा भोजन की तलाश में लम्बी यात्रा करके आते है।
अपनी उत्कृष्ट जलवायु, जैव विविधता तथा संतुलित आहारयुक्त वातावरण के कारण ही कावर झील हमेशा से ही प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती रहा है। यहां विभिन्न प्रजातियों के पक्षी प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पहुंचते हैं।
पर्यावरण की दृष्टि से काफी खास और पर्यटन के लिए अपार संभावनाएं समेटे है। हाल के वर्षों में इनकी संख्या में कमी आयी है । बेगूसराय जिले की कावर झील विश्व धरोहर होने के बावजूद धीरे-धीरे अपनी पहचान खोती जा रही है। स्थानीय लोगों द्वारा इसका शिकार जारी है। प्रवासी पक्षी भी जाल में फंस जाते हैं, जिन्हें चोरी छिपे ऊंचे दामों में बेच दिया जाता है। कभी झील सुन्दर खिले कमल झील की शोभा बढ़ाते थे। वहाँ आज एक भी कमल नहीं दिखाई देता है।
यहाँ पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा पटना है। पटना से बेगूसराय की दूरी 150 किमी है। बेगूसराय से 16 किमी की दूरी पर मंझौल है और यहां से छह किमी की दूरी पर जयमंगला गढ़ के पास कांवर झील है। जयमंगला गढ़ में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की ओर से यहाँ दो कमरे का बंगला है। यहाँ से 16 किमी की दूरी बेगूसराय के होटल में भी आप ठहर सकते हैं।