पंच केदार- केदारनाथ, जहाँ भगवान विष्णु ने अपने नर-नारायण रूप धारण कर भगवान शिव की तपस्या की थी

उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित पांच ऐसे श्रद्धेय मंदिर हैं, जहां भगवान शिव की पूजा की जाती है। सामूहिक रूप से इसे पंच केदार के रूप में जाना जाता है, ये मंदिर केदारनाथ, मधमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर हैं। गढ़वाल क्षेत्र को केदार-खंड भी कहा जाता है। केदार भगवान शिव का स्थानीय नाम है। यह क्षेत्र भगवान शिव के शैव संप्रदाय के प्रतीक और अलौकिक रूपों में प्रचुर मात्रा में है, वैष्णव संप्रदाय की तुलना में बहुत अधिक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन हिंदू शास्त्रों में वर्णित एक युग के दौरान, पांडवों ने महाभारत युद्ध में हुए रक्तपात के प्रायश्चित के लिए उत्तराखंड में रह कर भगवान शिव की पूजा और तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने एक भैंस का रूप धारण किया और पांडवों का पीछा करने लगे थे, लेकिन पांचो पांडव भाइयों में से एक भीम ने भगवान शिव को पहचान लिया था। पहचाने जाने पर भगवान शिव गायब हो कर, हिमालय के पांच अलग-अलग स्थानों पर प्रकट हुए। ऐसा कहा जाता है कि इनमें से प्रत्येक स्थल भगवान के एक हिस्से को समर्पित है,जैसे- केदारनाथ (भगवान शिव का कूबड़), मधमहेश्वर (उनकी नाभि), तुंगनाथ (उनकी भुजाएँ), रुद्रनाथ (उनका चेहरा), कल्पेश्वर (उनकी जटा या केश)।
केदारनाथ
बर्फ से ढकी चोटियों और जंगलों की शानदार पृष्ठभूमि में स्थित, केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और पंच केदार मंदिरों में एक प्रमुख स्थान रखता है और यह मंदिर चार धामों में से एक है इसलिए इसकी विशेष महत्वता है। इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में आदि गुरु शुक्राचार्य ने करवाया था। मंदिर में एक शंक्वाकार शिवलिंग है जिसे शिव का कूबड़ माना जाता है। इस मंदिर में सबसे ऊँचा शिवलिंग विद्यमान है। यह प्राचीन और भव्य मंदिर रुद्र हिमालय श्रेणी में मंदाकिनी नदी के पास और 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ मंदिर तक का ट्रेक गौरीकुंड से शुरू होता है और लगभग 19 किलोमीटर की चढ़ाई वाला ट्रेक है। यह ट्रेक 6-7 घंटे में पूरा किया जा सकता है।
किंवदंती है कि नर और नारायण, भगवान विष्णु के दो अवतारों ने भारत खंड के बद्रीकाश्रय में पृथ्वी से बने एक शिवलिंग के सामने घोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए और कहा कि वे वरदान मांग सकते हैं। नर और नारायण ने भगवान शिव से केदारनाथ में एक ज्योतिर्लिंगम के रूप में एक स्थायी निवास स्थान लेने का अनुरोध किया ताकि भगवान शिव की पूजा करने वाले सभी लोग अपने दुखों और पाप मुक्त हो जाएं।