Mahabharat में पांडव जीत के हकदार थे?

महाभारत एक ऐसा युद्ध था जो धर्म व अधर्म के बीच लड़ा गया था l, यह बात सर्वमान्य तथा प्रमाणित है कि पांडव ही धर्म के पक्ष में थे जबकि कौरव अधर्म के ।
अब मैं आपसे यह पूछना चाहूंगा कि आपके अनुसार पांडव जीत के हकदार क्यों नहीं थे ?, अब ऐसा क्या अधर्म कर दिया पांचों भाइयों ने!! अब आप सब पांडवों के द्वारा किए गए अधर्म कुछ इस तरह बताएंगे -
युधिष्ठिर ने अपनी पत्नी को दांव पर लगा दिया… परंतु क्या आप यह भूल गए कि जब युधिष्ठिर के प्रतिगामी द्रौपदी को बुलाने आते हैं तब द्रौपदी प्रतिगामी से क्या कहती हैं।
हे प्रतिगामी !!जाकर यह बात युधिष्ठिर से पूछो कि वह जुए में पहले खुद को हारे थे या मुझको ?
इस बात का साफ-साफ मतलब यह है कि, पहले तो युधिष्ठिर मात्र अपने काका श्री के बुलाने पर चौसर जैसा खेल खेलने आए!! फिर वह जब शकुनी जैसे मंजे हुए खिलाड़ी से हार गए तथा उनके दास बन गए( दास ,यानी दुर्योधन जो उनसे कहे वह उन्हें करना पड़ेगा), और फिर दास बनने के बाद, उनसे अपनी पत्नी को दांव पर लगाने के लिए कहा गया l तब भी धर्मराज युधिष्ठिर धर्म का मर्म जानते थे इसलिए उन्हें दासत्व का पालन करते हुए, अपनी पत्नी को भी दांव पर लगाना पड़ा l
पांडवों ने खांडव वन का दहन किया जिसमें बहुत से पशु पक्षी मारे गए… ठीक है इस बात पर मैं आपसे सहमत हूं l, किंतु आप इसकी वजह जानते हैं, दरअसल अग्नि देव को खांडव वन अपने में समाहित करने की इच्छा हो रही थीl अब वह कोई हमारी तरह पृथ्वी-वाषि तो हैं नहीं, वह 5 निराकार ब्रह्म में से एक हैं इसलिए उनको खांडव वन ,अपने में समाहित करने की इच्छा हुई तथा वह ब्राह्मण का वेश बनाकर, अर्जुन के पास दक्षिणा मांगने पहुंच गए l क्योंकि खांडव वन में नागों का वास था, इसलिए ऐसा नागराज वासुकी इंद्र ने वरदान दिया कि उनके खांडव वन को जलाने की जो चेष्टा करेगा, उसे इंद्र आदि देवताओं से युद्ध करना होगा और खांडव दहन के उस युद्ध में, श्री कृष्ण तथा अर्जुन ने अकेले ही समस्त देवताओं की सेना को परास्त कर दिया l अगर अर्जुन ब्राह्मण रूपी अग्नि देव की बात अस्वीकार कर देते तो यह धर्म के विरुद्ध होता l
अगर कुछ विद्वान द्रोणाचार्य तथा सूर्यपुत्र कर्ण की मृत्यु को अधर्म मानते हैं चलो वह गलत सोच भी साफ कर देते हैं। अगर आप गुरु द्रोण की मौत की बात कर रहे हैं, तो आपको अभिमन्यु की मृत्यु भी याद होगी l और जहां तक कर्ण की मृत्यु का सवाल है तो वह बिल्कुल भी गलत तरीके से नहीं मारा गया, पहली बात करण जानता था कि उसका पहिया श्राप के कारण ही धरती में फंसा है फिर भी उसने पहिया निकालते वक्त ,वक्त मांगने का ढोंग किया l पर जब भी बात ना बनी, तो उसने वरूणा अस्त्र तथा ब्रह्मास्त्र जैसे अस्त्रों का उपयोग भी किया l तथा कर्ण जमीन पर से अस्त्र चला रहा था तथा अर्जुन रथ पर सवार होकर l अगर इस बात पर भी आपको गलत लगे तो मैं आपको बता दूं की अभिमन्यु को भी निहत्था मारा गया था l और भीम ने भी जमीन पर रहकर ही कर्ण से युद्ध किया था l