तुझसे वक्त-बेवक्त उलझ जाना,
अच्छा लगता है मुझे;
फिर उन उलझनों को सुलझाना,
अच्छा लगता है मुझे;
बस तू पास रहे हमेशा,
और ये साथ रहे हमेशा;
तेरा पल भर भी दूर जाना,
परेशां करता है मुझे;
ख्वाब नहीं देखती हूँ,
मैं महलों-दुमहलों के;
तेरे छोटी सी कुटिया को भी सजाना,
अच्छा लगता है मुझे;
ख्वाहिशें नहीं बड़ी हैं,
और जो हैं तुझसे ही जुड़ी हैं;
तेरे लिए खुद को भी भूल जाना,
अच्छा लगता है मुझे;
हम जानते हैं कि तुझे,
इज़हार-ए-इश्क नहीं आता;
पर तेरी नज़रों का चूम जाना,
अच्छा लगता है मुझे;
तेरा ख़ामोशी भरा इकरार,
तेरी आँखों से बरसता प्यार;
मुझे देख तेरा यूँ मुस्कुराना,
अच्छा लगता है मुझे;
तुझे बिन बात के सताना,
और सता कर फिर मनाना;
वो बहानों से तेरा अक्सर मेरे करीब आना,
अच्छा लगता है मुझे;
तेरे दिल में जगह बनाते-बनाते,
तेरी जिंदगी में बदल जाना,
तेरे संग जीवन का ये सफ़रनामा,
अच्छा लगता है मुझे;
तेरे संग बिन शर्त चलते जाना,
अच्छा लगता है मुझे;
तेरा यूँ मुझ पर हक जताना;
अच्छा लगता है मुझे।
★★★★★
—-(Copyright@भावना मौर्य “तरंगिणी”)—