नदी की जमीन के बदले दे दी 100 करोड़ की भूमि
एलडीए अफसरों ने बिल्डर की डूबे क्षेत्र की कौड़ियों की जमीन खुद ले ली और बदले में 100 करोड़ रुपये। के पांच व्यावसायिक व ग्रुप हाउसिंग भूखण्ड दे दिए। उपाध्यक्ष डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने जांच कराई तो फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई। इसके बाद बिल्डर राजगंगा डेवलपर्स के पक्ष में किया गया समायोजन सोमवार को निरस्त कर दिया। एलडीए अधिकारियों ने जमीन समायोजन घोटाले की बुनियाद वर्ष 2006 में ही तैयार कर दी थी पर कामयाब नहीं हो पाए। फिर वर्ष 2015 में इस घोटाले को अंजाम दिया गया। प्राधिकरण सचिव पवन कुमार गंगवार के मुताबिक बिल्डर मेसर्स राज गंगा डेवलपर्स के पार्टनर संचित अग्रवाल पुत्र अशोक कुमार अग्रवाल ने 30 अक्तूबर 2006 को प्रार्थना पत्र दिया कि उसे गोमती नगर के मलेशेमऊ के खसरा संख्या – 673क क्षेत्रफल 6070 वर्गमीटर भूमि के बदले इतनी ही अविकसित जमीन प्राधिकरण की योजना में कहीं अन्य दे दी जाए।
भूमि बन्दोबस्ती अभिलेखों में जमीन महादेव प्रसाद पुत्र पुत्तू लाल के नाम दर्ज थी, जिसे महादेव प्रसाद ने नौ जनवरी 2006 को राज गंगा डेवलपर्स को बेचा था। जमीन का नामांतरण भी बिल्डर राज गंगा डेवलपर्स के नाम हो गया। उपाध्यक्ष इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि मेसर्स राज गंगा डेवलपर्स को गोमती नगर विस्तार के सेक्टर-4 में शहीद पथ के पास 18 मीटर चौड़ी सड़क पर ग्रुप हाउसिंग व व्यावसायिक उपयोग के भूखण्ड समायोजित किए गए थे। प्रकरण की जांच कराई तो फर्जीवाड़ा उजागर हो गया। इसके आधार पर उसे आवंटित भूखण्ड संख्या-1269ए, 1269बी, 1269सी, 1269डी तथा 1269ई का समायोजन निरस्त कर दिया गया है। इन भूखण्डों की वर्तमान कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये है। प्राधिकरण इन भूखण्डों को अपने कब्जे में लेगा। एलडीए अमर शहीद पथ गोमती नगर विस्तार योजना के तहत मलेशेमऊ व अन्य गांवों की 1146.75 एकड़ भूमि वर्ष 2000 में अधिग्रहित की थी।