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गुरुद्वारा तरनतारन साहिब

भारत के विभाजन के वर्ष 1947 में बहुसंख्यक सिख आबादी तरनतारन पंजाब की एकमात्र तहसील थी। खेती और कृषि-उद्योग क्षेत्र में मुख्य व्यवसाय है। यह अमृतसर शहर से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर तरनतारन नामक स्थान पर स्थित है।

तरनतारन साहिब उत्तरी भारत में पंजाब राज्य के माझा क्षेत्र का एक शहर है। पंजाब राज्य के तरनतारन ज़िले में स्थित है। तरनतारन साहिब पवित्र धार्मिक ऐतिहासिक शहर है। तरनतारन जिले का गठन 2006 में किया गया था। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस आशय की घोषणा, श्री गुरु अर्जन देव जी के शहादत दिवस के उपलक्ष्य में की थी। गुरुद्वारा श्री तरनतारन साहिब अमृतसर का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।

तरनतारन साहिब की स्थापना गुरु अर्जन देव ने पांचवे सिख गुरु के रूप में की थी। उन्होंने श्री तरनतारन साहिब मंदिर की नींव रखी थी। तरनतारन गुरूद्वारा साहिब जिसे श्री दरबार साहिब भी कहते है। सुनहरे गुंबद के साथ भव्य सफेद संरचना एक शांत पवित्र सरोवर से घिरी हुई है।

गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब तरनतारन में दुनिया का सबसे बड़ा सरोवर है। सरोवर मूल रूप से बारिश के पानी से भरा जाता था। तालाब का पानी औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध था। इसमें पानी दोआब नहर शाखा से जोड़कर भरा जाता है। गुरूद्वारे के आस पास फैला एक विशाल सरोवर इसकी सोभा को चार चाँद लगा देता है।

श्री गुरू अर्जुन देव जी महाराज की शहीदी दिवस तथा वैशाखी बड़े स्तर पर मनाया जाता है। दरबार साहिब तरनतारन को भी रोशनी से सजाया जाता है। यह न केवल तीर्थयात्रियों को बल्कि बड़ी संख्या में पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है।

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