Success Story : इंजीनियरिंग के बाद करना पड़ा वेटर का काम, बचे हुए समय में पढ़ाई करके बने IAS अफसर!

‘असफलता केवल यह सिद्ध करती है की सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया।’
आईएएस-आईपीएस बनने के लिए सिविल सेवा परीक्षा देने वालों की भीड़ में बहुत से युवा मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों के होते हैं। आज मैं आप सभी के लिए ऐसे ही एक और आईएएस अधिकारी की स्ट्रगल स्टोरी लेकर आयी हूँ , जिन्होंने यूपीएससी क्रैक करने के सफर में बहुत कठिनाइयों और अभावों का सामना किया।
इन आईएएस अधिकारी का नाम है जयगणेश।इनका जन्म वेल्लोर जिले के विनवमंगलम नाम के एक छोटे से गांव में हुआ और वहीं ये पले-बढ़े है। जयगणेश की पारिवारिक स्थिति तथा आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर रही है। उनके पिता एक कारखाने में काम किया करते थे, जिससे किसी तरह परिवार का भरण-पोषण होता था। जयगणेश ने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई गांव में की थी। इसके बाद उन्होंने पॉलिटेक्निक कॉलेज में एडमिशन ले लिया। उनसे बताया गया था कि पॉलिटेक्निक करने के बाद तुरंत नौकरी मिल जाएगी। उन्होंने पॉलिटेक्निक में 91% मार्क्स हासिल किए। इसके बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पेरियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से की।
होटल में की वेटर की नौकरी :-
इसके बाद उन्हें इंजीनियर की नौकरी नहीं मिली तो एक सिनेमा हॉल में बिलिंग क्लर्क बने. जहां वह इंटरवल में वेटर का भी काम किया करते थे। यहां उन्हें 2500 रुपये महीने मिलते थे। लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें महसूस हुआ कि इस सैलरी में परिवार का खर्च चलाना बहुत मुश्किल है। दूसरी ओर उनका सपना आईएएस अफसर बनने का भी था। इसी सब के चलते उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी। बिलिंग क्लर्क की नौकरी छोड़कर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। लेकिन उतने पैसे में एक बार फिर से खर्च चलाना मुश्किल हो गया। इस बार उन्होंने एक होटल में वेटर का काम शुरू किया, इस नौकरी के बाद बचे हुए समय में वह यूपीएससी की पढ़ाई करते थे। इस दौरान उन्हें यूपीएससी की परीक्षा में 6 बार असफलता का मुँह देखना पड़ा।
नहीं ज्वाइन की इंटेलिजेंस ब्यूरो की नौकरी:-
तैयारी के दौरान एक बार इनका सेलेक्शन इंटेलिजेंस ब्यूरो में हुआ था। लेकिन उनके लिए यह तय करना मुश्किल था कि सातवीं बार यूपीएससी की परीक्षा दें या अपना संघर्ष यहीं बंद करके आईबी ज्वाइन कर लें। आखिरकार उन्होंने 2008 में एक बार और यूपीएससी परीक्षा देने का कठिन फैसला लिया । उनका यह निर्णय सही साबित हुआ और 156वीं रैंक के साथ यूपीएससी क्रैक करके आईएएस बने.