कवितायें और कहानियाँमनोरंजन

कितनी बार कहा तुमसे

कितनी बार कहा तुमसे

कितनी बार…
     कहा तुमसे,
मुझे यूँही… 
      तुम खो दोगे;

अभी शायद…
      तुम न समझो,
पर यकीं मानो..
      तब तुम रो दोगे;

ख़ामोशी का दर्द…
      है बहुत चुभता,
पर किसी से तुम…
      न कह सकोगे;

अभी लापरवाह…
      बने रहते हो ,
पर यही बेपरवाही…
      न, तुम सह सकोगे;

अभी शायद… 
       तुम न समझो,
पर यकीं मानो…
       तब तुम रो दोगे…।

★★★★★

—(Copyright@भावना मौर्य “तरंगिणी”)—

Read more… शायद कुछ ऐसा है

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button