आईआईटी कानपुर ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में अपने नाम के साथ गर्व किया है और एक और कदम और बढ़ाया है। नई खोज और तकनीक के क्षेत्र में नवाचार करने के लिए, संस्थान ने पांचवीं आदित्य-एल1 कार्यशाला का आयोजन किया है। इस तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आईआईटी कानपुर के भौतिकी विभाग और आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान (एरीज़), नैनीताल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
शिक्षार्थी चयन
कार्यशाला के लिए कुल 50 छात्रों का चयन किया गया था, जिनमें से 30 बाहर से और 20 आईआईटी कानपुर और स्थानीय विश्वविद्यालयों से थे। उनका चयन उनके संबंधित पाठ्यक्रमों में उनके शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर किया गया था।
उद्देश्य
इस कार्यशाला के माध्यम से, संस्थान का उद्देश्य चयनित अंतिम वर्ष के स्नातक (यूजी), एमएससी और पीएचडी छात्रों को उपग्रह से आने वाले डेटा के उपयोग में प्रशिक्षित करना है।
विषय:
सूर्य के अवलोकन
कार्यशाला का दूसरा दिन सूर्य के अवलोकन संबंधी पहलुओं से परिचित कराने पर केंद्रित था। इसमें बताया गया कि कैसे वैज्ञानिक सूर्य पर विभिन्न घटनाओं का निरीक्षण करते हैं, जैसे सौर ज्वालाएं, सौर हवा, सौर कोरोनल द्रव्यमान उत्सर्जन और सौर ऊर्जावान कण। प्रतिभागियों को मैग्नेटोहाइड्रोडायनामिक कोड PLUTO का उपयोग करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया, जो सौर तूफानों की उत्पत्ति को समझने के लिए उपयोग किए जाने वाले कम्प्यूटेशनल खगोल भौतिकी के लिए एक संख्यात्मक कोड है।
प्लाज्मा अध्ययन
प्रतिभागियों ने प्रयोगशाला में प्लाज्मा के उत्पादन और परिरोधन के बारे में जानने के लिए भौतिकी विभाग में प्रोफेसर सुदीप भट्टाचार्जी की प्लाज्मा प्रयोगशाला का भी दौरा किया। चूंकि सूर्य अनिवार्य रूप से प्लाज्मा की एक गोलाकार गेंद है, इस प्रयोगशाला दौरे ने प्रतिभागियों को वास्तविक समझ प्रदान की कि प्लाज्मा कैसा दिख सकता है। इसके अतिरिक्त, प्रतिभागियों ने इलेक्ट्रॉनों और प्रोटॉन जैसे कणों के त्वरण के बारे में जानने के लिए भौतिकी विभाग में प्रोफेसर आदित्य केलकर की त्वरक प्रयोगशाला का दौरा किया, एक प्रक्रिया जो सूर्य में लगातार होती रहती है।
निष्कर्ष
संस्थान ने कहा कि कार्यशाला का तीसरा दिन आदित्य-एल1 मिशन को समर्पित था, जहां प्रतिभागियों को सैद्धांतिक और अवलोकन संबंधी समझ हासिल करने के बाद मिशन पेलोड की जटिलता की सराहना करने की सुविधा प्रदान की गई।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
आदित्य–एल1 मिशन क्या है?
आदित्य-एल1 इसरो का एक मिशन है, जहां सूर्य, उसके वायुमंडल और पृथ्वी पर इसके प्रभावों का अध्ययन करने के लिए भारत द्वारा पहली बार सूर्य पर एक उपग्रह लॉन्च किया गया है।
कैसे चयनित छात्रों को प्रशिक्षित किया जाएगा?
छात्रों का चयन उनके शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर किया गया था और वे उपग्रह से आने वाले डेटा के उपयोग में प्रशिक्षित करेंगे।
कौन–कौन से विभागों का शामिल था यह कार्यशाला?
यह कार्यशाला आईआईटी कानपुर के भौतिकी विभाग और आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान (एरीज़), नैनीताल के आदित्य-एल1 सपोर्ट सेल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
PLUTO क्या है और इसका क्या उपयोग है?
PLUTO एक संख्यात्मक कोड है जो सौर तूफानों की उत्पत्ति को समझने के लिए उपयोग किया जाता है और भौतिकी में एक महत्वपूर्ण योगदान करता है।
आदित्य–एल1 मिशन के लिए क्या उद्देश्य है?
आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य सूर्य, उसके वायुमंडल और पृथ्वी पर इसके प्रभावों का अध्ययन करना है ।