यह गांव पवित्र बद्रीनाथ से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जो चीन की सीमा से लगा हुआ है। उत्तराखंड का माणा गांव भारत का अंतिम गांव कहा जाता था। अब माणा भारत के पहले गांव के तौर पर जाना जाता है। अब उन्हें देश की समृद्धि की शुरुआत मानने हुए गांव के जीवन स्तर को बढ़ाने में सहायता कर विरासत कर पर्यटन क्षमता को विकसित करना है। इसका लक्ष्य सीमा से लगे 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में 2967 गांवों को विकसित करना है।
अब इस गांव को हेरिटेज विलेज के रुप में विकसित किया गया है। जिला प्रशासन इसकी कवायद में जुटा है। गांव में एक संग्रहालय भी बनाया गया है। जहां पौराणिक औजार और ऐतिहासिक धार्मिक वस्तुएं रखी जाएंगी। इसके लिए आर्किटेक्ट गांव का दो बार स्थलीय निरीक्षण कर चुके हैं। योजना के गांव में एक ऑडिटोरियम का निर्माण भी किया जा रहा है। जहां ऑडियो विजुअल मोड में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को माणा गांव का इतिहास, धार्मिक महत्व, परंपरा और संस्कृति के बारे में बताया जाएगा। गांव को पूर्ण रुप से पॉलिथीन मुक्त किया गया है। गांव को जोड़ने वाले सभी रास्तों का पक्का निर्माण किया गया है। माणा गांव को हेरिटेज विलेज के रुप में विकसित कर पर्यटन की बढ़ावा दिया जायगा। भारत-चीन (तिब्बत) सीमा पर स्थित माणा गांव सांस्कृतिक महत्ता के साथ ही कुछ अनूठी परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। यहाँ आसपास कई दर्शनीय स्थल भी हैं। हर साल बड़ी संख्या में लोग यहां घूमने आते हैं।