रोशनी घोटाला-जम्मू कश्मीर के बड़े नेता शामिल

25000 करोड़ के रोशनी भूमि ज़मीन घोटाला, जिसके जांच उच्च न्यायालय के आदेश पर हो रही है। जो जम्मू कश्मीर में हुआ है, उसमे प्रशासनिक अधिकारी के अलावा, जम्मू कश्मीर बैंक के पूर्व चेयरमैन, जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्य वित्त मंत्री और पी डी पी के बड़ें नेता हसीब दराबु और जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के बड़े नेता के के अमला, जिनका श्रीनगर में नामचीन होटल है, मो शफी पंडित जो पूर्व मुख्य सचिव हैं, के नाम शामिल है, इन्होंने अपने और अपने परिवार के नाम काफी ज़मीन आवंटित कराई है। 9 अक्टूबर को माननीय उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो जांच के लिये कहा था। इसमे प्राधिकरण के लोग भी शामिल है। जांच में पाया गया, लगभग 348200 कनाल कृषि भूमि अवैध रूप से हस्तांतरण की गई |
2001 में, जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (व्यवसायियों का स्वामित्व का मामला) अधिनियम 2001 लोगों को राज्य भूमि के स्वामित्व के निहितार्थ प्रदान करने के लिए पारित किया गया था, जो ऐसी भूमि पर काबिज थे | इसी एक्ट की ओट में पूरे जम्मू-कश्मीर में सैकड़ों एकड़ मूल्यवान वन और राज्य की भूमि पर अवैध रूप से प्रभावशाली राजनेताओं, व्यापारियों, नौकरशाहों और न्यायिक अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण और कब्जा कर लिया गया | रोशनी अधिनियम के तहत प्रस्तावित किया गया था कि वर्ष 1990 तक प्रचलित बाजार दर के बराबर लागत के भुगतान पर, 1990 तक अनाधिकृत रूप से राज्य की भूमि पर कब्जा रखने वाले व्यक्तियों को मालिकाना हक दिया जाए | क्योंकि इन जमीनों को वापस ले पाना सरकार के लिए मुश्किल हो रहा था | 1999 के पहले जो सरकारी जमीन थी उसे गरीब तबके के लोगों को विधिपूर्वक जमीन उपलब्ध कराने के लिए रोशनी एक्ट बनाया गया था | इसका दूसरा उपयोग पॉवर प्रोजेक्ट के लिए पैसा इकट्ठा करना था ताकि उसे जम्मू-कश्मीर के पॉवर प्रोजेक्ट में लगाया जा सके | 2001 में इसे बनाया गया था | लेकिन इसमें समय-समय पर संशोधन किया जाता रहा | समय-समय पर राज्य में सरकारें बदलती रहीं और लगातार राजनेताओं को फायदा उठाने का मौका दिया जाता रहा |
पहला संशोधन 2004 में मुफ्ती सईद सरकार ने किया | इसके बाद 2007 में गुलाम नबी आजाद की सरकार के दौरान कानून में बदलाव किया गया | मुफ्ती सईद सरकार ने कट ऑफ डेट 1990 से बढ़ाकर 2004 कर दी और बाद में गुलाम नबी आजाद सरकार ने इसे बढ़ाकर 2007 कर दिया | 25,000 करोड़ रुपये के इस जमीन घोटाला की जांच अब सीबीआई द्वारा की जा रही है | इस घोटाले में कई बिजनेसमैन और अफसरशाहों के नाम भी सामने आए हैं | अब हाई कोर्ट के आदेश के बाद इन लोगों से जमीन वापस ली जाएगी | उम्मीद की जा रही है कि राज्य में होने वाले डीडीसी चुनावों के दौरान यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है |