भारत के इस फैसले से बढ़ रहा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों ने रूस के खिलाफ कई कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं, ताकि रूस दबाब में रहे, रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर प्राइस कैप भी लगा दिया, रूस यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से तेल मंगाने को लेकर भारत पश्चिमी देशों के निशाने पर है।
रिफाइन किए गए तेल की दुनिया के अन्य हिस्सों में सख्त जरूरत थी, जिसने रूस से सीधे तेल खरीदने पर बैन लगा दिया था। पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध में एक तटस्थ रुख अपनाया है। पिछले दिनों विदेश मंत्री जयशंकर ने यरोपीय यूनियन को रूसी तेल के निर्यात के मुद्दे पर धो डाला था। अब अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने शिपिंग के डेटा के आधार पर खुलासा किया है कि उसकी इस नीति का फायदा यह हुआ है कि उसने रूसी तेल से जमकर पैसा कमाया है। भारत ने यूक्रेन युद्ध का समर्थन कर रहे पश्चिमी देशों और रूस के बीच दोनों से ही रणनीतिक आर्थिक संबंध बरकरार रखे हैं जो उसे फायदा दे रहे हैं।
भारत अब रूस से 20 लाख बैरल तेल प्रतिदिन खरीद रहा है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक यह भारत के कुल तेल आयात का 45 प्रतिशत है। इसने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया बल्कि रूस के सस्ते तेल ने भारत को तेल साफ करने का बेहद लाभदायक बिजनस भी दे दिया।
इससे अरबों डॉलर की बचत हो रही है। भारत रूस से सस्ता तेल खरीद कर उसे रिफाइन कर रहा है और फिर उसे बाजार दर पर यूरोप को निर्यात कर रहा है। इससे भी काफी फायदा भारत की कंपनियों को हो रहा है। यूरोप के नियमों के मुताबिक किसी दूसरे देश से तेल लेकर निर्यात करना गैरकानूनी नहीं है। ऐसे में यूरोपीय देश चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इससे भारत का विदेशी मुद्राभंडार भी बढ़ रहा है।