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बदल जाते हैं

बदल जाते हैं

एहसास भी बदल जाते हैं,
दिल के सारे जज्बात भी बदल जाते हैं;
जब पास में तुम आते हो,
तो ज़िन्दगी के मेरे हालात भी बदल जाते हैं।

तुझसे ज़िरह करने को,
संजोते रहते हैं जो चंद अल्फ़ाज़ हम;
तेरे सामने आते ही,
वो सारे सवालात भी बदल जाते हैं।

तू नासमझ है या नादान बनना,
कोई दिखावा है तेरा;
या मुझ तक आते-आते,
तेरे खयालात ही बदल जाते हैं?

तेरी खामोश मौजूदगी में खुद को समेटना,
सरहद पर जंग लड़ने जैसा ही है;
फ़िर भी मर्यादाओं की चादर ओढ़कर,
हम बमुश्किल ही संभल पाते हैं।

पर इश्क-ए-इज़हार सुनते ही तेरे लबों से,
चंद लम्हों में ही हम मोम सा पिघल जाते हैं;
तब न ‘मैं’ होती हूँ वहाँ और न ‘तुम’ होते हो कोई,
साथ पाकर एक-दूसरे का, हम “हम” में बदल जाते हैं।

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—-(Copyright @भावना मौर्य “तरंगिणी”)—-

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