कैसे लड्डू, कौन से लड्डू ?

एक शराबी मर के स्वर्ग पहुंचा। काफी घूमने के बाद उसे यमराज मिले।

उसने पूछा :- मैं इतना बड़ा शराबी ! सारा दिन नशे में टुन्न, मुझे स्वर्ग कैसे मिला प्रभु !

यमराज:- वो जो तू बिना अन्न खाए दारू के साथ केवल

सलाद खा के सो जाता था टेक्निकली उसे उपवास में

काउंट कर लिया गया है
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एक आदमी बोट से कही जा रहा था अचानक से ज़ोर से हवा चली और

उसकी बोट पलट गयी । उसे तैरना नही आता था वो प्रार्थना करने लगा

“भगवन, अगर मुझे बचा लिया तो में गरीबो में 21 किलो लड्डू बाटूंगा !”

फिर ज़ोर से हवा चली और एक बड़ी सी लेहरे उसे ज़मीं पे ले गयी.

वो खड़ा हुआ, और हस्ते हुए ऊपर देख के बोला,

“हाहा, कैसे लड्डू, कौनसे लड्डू .?” :-

फिर ज़ोर से हवा चली और एक बड़ी लहर ने उसे वापिस पानी में खीच लिया.

वो फिर चिल्ला के बोला “मतलब मैं पूछ रहा था बेसन के या बूंदी के
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एक बार सत्यनारायण कथा की आरती मेरे सामने आने पर

मैंने छाँट कर जेब में से कटा फटा पाँच रू का नोट कोई देखे नहीं, ऐसा डाला,

वहाँ अत्यधिक ठसाठस भीड़ थी, मेरे कंधे पर ठीक पीछे वाले सज्जन ने

थपकी मार कर मेरी ओर ५०० रू का नोट बढ़ाया,

मैंने उनसे नोट ले कर आरती में डाल दिया,

अपने मात्र ५ रू डालने पर थोड़ी लज्जा भी आई ।

बाहर निकलते समय मैंने उन सज्जन को श्रद्धा पूर्वक नमस्कार किया

तब उन्होंने बताया कि ५ रू का नोट निकालते समय

५०० का नोट मेरी ही जेब से गिरा था, जो वे मुझे दे रहे थे।

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