जानिए सनातन धर्म के 21 मूल सिद्धांत के बारे मे
सनातन धर्म भारतीय सभ्यता का आदिकाल से ही हिस्सा रहा है और यह धार्मिक तत्वों का महत्वपूर्ण संग्रह है जिसने भारतीय समाज को अनमोल धरोहर दी है। सनातन धर्म के इन 21 मूल सिद्धांतों के माध्यम से हम जानेंगे कि यह कैसे एक सुशील और सही मार्ग का पालन करने की सलाह देता है।
दिव्यता:
सनातन धर्म में दिव्यता का महत्वपूर्ण स्थान है। हर व्यक्ति की आत्मा दिव्य है और ईश्वर से जुड़ी होती है।
कर्म:
कर्म का सदुपयोग करना और निष्काम कर्म करना सनातन धर्म का मूल सिद्धांत है।
धर्म:
धर्म का पालन करने के माध्यम से मानव अपने कर्मों को सही दिशा में देख सकता है और ईश्वर के प्रति प्रेम रख सकता है।
आत्मा का अनंतता:
सनातन धर्म में आत्मा का मानना है कि वह अनंत और अमर होती है। जन्म और मृत्यु केवल शरीर के लिए होते हैं।
ध्यान और योग:
सनातन धर्म में ध्यान और योग का महत्वपूर्ण स्थान है, जिससे आत्मा को शांति और आत्मज्ञान प्राप्त होता है।
सत्य:
सत्य का पालन करना सनातन धर्म में महत्वपूर्ण है। सत्य के प्रति ईमानदार रहना चाहिए।
अहिंसा:
सनातन धर्म में हिंसा का निषेध है। अहिंसा के माध्यम से शांति और सहमति बढ़ती है।
परमात्मा का प्रेम:
सनातन धर्म में परमात्मा के प्रति अपने मन से और भक्ति से प्रेम रखने का संदेश है।
आपसी सहमति:
आपसी सहमति का पालन करने से समाज में सद्गुण बढ़ते हैं और एकता का माहौल बनता है।
धर्मिकता:
सनातन धर्म में धर्मिकता का महत्वपूर्ण स्थान है और यह धार्मिक कर्मों का पालन करने की सलाह देता है।
अन्याय के खिलाफ:
सनातन धर्म में अन्याय के खिलाफ खड़े होने का संदेश है और न्याय की प्राप्ति के लिए संघर्ष करने की सलाह देता है।
संतुष्टि:
संतुष्टि का महत्वपूर्ण स्थान है और समृद्धि की ओर अग्रसर होने के लिए संयम और संतुष्टि की आवश्यकता है।
विश्वास:
सनातन धर्म में ईश्वर पर पूरा विश्वास करने का संदेश है।
संयम:
सनातन धर्म में संयम का महत्वपूर्ण स्थान है और इंद्रियों को नियंत्रित करने की सलाह देता है।
संतान:
परिवार का महत्वपूर्ण होने का संदेश है और संतान के प्रति जिम्मेदारी का पालन करने की सलाह देता है।
समर्पण:
समर्पण का महत्वपूर्ण स्थान है और ईश्वर के सेवा में समर्पित रहने की सलाह देता है।
सच्चे मित्र:
सनातन धर्म में सच्चे मित्र की महत्वपूर्णता है और मित्रों के साथ निष्पक्ष और ईमानदारी से व्यवहार करने की सलाह देता है।
शिक्षा:
शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है और ज्ञान का प्राप्ति के लिए अध्ययन की सलाह देता है।
धर्मिक संगठन:
सनातन धर्म में समाज को साथ लाने और धर्म के प्राप्ति के लिए धर्मिक संगठन का महत्व है।
संविधानिक व्यवस्था:
सनातन धर्म में संविधानिक व्यवस्था की महत्वपूर्णता है और समाज के न्याय और आदर्शों को बनाए रखने के लिए संविधान का पालन करने की सलाह देता है।
परिस्थितिकों का सामर्थ्य:
सनातन धर्म में परिस्थितिकों का सामर्थ्य और उनका सामाजिक और आर्थिक सहायता करने का संदेश है।
इन 21 मूल सिद्धांतों के माध्यम से सनातन धर्म हमें एक सशक्त, सद्गुणी और सात्विक जीवन जीने का मार्ग दिखाता है, जो समृद्धि, शांति, और आत्मज्ञान की ओर जाता है। यह धर्म हमें ईश्वर, समाज, और स्वयं के प्रति जिम्मेदारी और सजीव जीवन की मूलभूत मूल्यों का पालन करने का संदेश देता है।
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