जानिए आश्विन मास की कालाष्टमी आज, जानें पूजा की सही विधि और शुभ समय के बारे मे
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी कहा जाता है। 6 अक्टूबर यानी आज आश्विन मास की कालाष्टमी है. आश्विन मास की कालाष्टमी को काल भैरव जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि भगवान शिव के रूद्र अवतार भगवान काल भैरव को समर्पित है। भगवान शिव के भक्त इस दिन भगवान काल भैरव की विधि-विधान से पूजा करते हैं। इस दिन भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और भगवान काल भैरव की भक्ति में लीन रहते हैं। मान्यताओं के अनुसार आश्विन कालाष्टमी या काल भैरव जयंती के दिन व्रत रखने से भगवान काल भैरव अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
कालाष्टमी शुभ समय (कालाष्टमी 2023 शुभ समय)
उदयातिथि के अनुसार आश्विन मास की कालाष्टमी 6 अक्टूबर यानी आज मनाई जा रही है. आश्विन मास की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर यानी आज सुबह 6.34 बजे शुरू हो चुकी है और इसका समापन 7 अक्टूबर यानी कल सुबह 8.08 बजे होगा.
कालाष्टमी पूजन विधि
अगर आप काल भैरव जयंती का व्रत रखने वाले हैं तो सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और अपने मंदिर को साफ करें। अपने घर के मंदिर में एक साफ चौकी पर भगवान काल भैरव की मूर्ति या मूर्ति स्थापित करें और दीपक जलाएं। काल भैरव को 8 प्रकार के फूल और पत्ते चढ़ाएं। इसके बाद 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर भगवान काल भैरव को अर्पित करें। इसके साथ ही भगवान काल भैरव को नारियल अर्पित करें। कुत्ता भगवान काल भैरव का वाहन है इसलिए इस दिन कुत्तों को मीठी रोटी खिलानी चाहिए। काल भैरव जयंती पर जरूरतमंदों और गरीबों को दान देना भी शुभ माना जाता है।
कालाष्टमी का महत्व
आश्विन कालाष्टमी या काल भैरव जयंती सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। कालभैरव जयंती के दिन व्रत रखने और विधि-विधान से भगवान कालभैरव की पूजा करने से भक्तों को लाभ मिलता है। काल भैरव का आशीर्वाद भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है। काल भैरव अपने भक्तों को शक्ति प्रदान करते हैं।