जानिए गणेश लक्ष्मी की पूजा विधि,आरती,प्रसाद वितरण,ध्यान और मंत्र जप के बारे मे

गणेश लक्ष्मी पूजा विधि भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की एक साथ पूजा करने की औपचारिक प्रक्रिया है। यहां गणेश लक्ष्मी पूजा करने के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका दी गई है:
तैयारी:
पूजा स्थल को साफ करें और एक ऊंचे चबूतरे पर एक साफ कपड़ा बिछाएं।
भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों या चित्रों, अगरबत्ती, फूल, फल, मिठाई, कपूर, नारियल, चावल, सुपारी, पान के पत्ते, एक दीपक और एक घंटी सहित आवश्यक पूजा सामग्री की व्यवस्था करें।
एक छोटा कलश (एक तांबे या पीतल का बर्तन) पानी से भरकर रखें और हल्दी, कुमकुम (सिंदूर) और फूलों से सजाएं।
मंगलाचरण:
पूजा की शुरुआत दीप और अगरबत्ती जलाकर करें।
भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उन्हें समर्पित प्रार्थना या मंत्रों का जाप करें।
देवताओं को उनके संबंधित मंत्रों का पाठ करते हुए कुछ फूल, चावल और जल चढ़ाएं।
गणेश पूजा:
मंच के दाहिनी ओर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर रखें।
भगवान गणेश को चंदन का लेप, कुमकुम और फूल चढ़ाएं।
आरती गीत गाते या गाते हुए मूर्ति के सामने एक गोलाकार गति में दीपक घुमाकर गणेश आरती करें।
लक्ष्मी पूजा:
मंच के बाईं ओर देवी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर लगाएं।
देवी लक्ष्मी को चंदन का लेप, कुमकुम और फूल चढ़ाएं।
देवी लक्ष्मी को नैवेद्य (भोजन) के रूप में फल, मिठाई और अन्य व्यंजनों का भोग लगाएं।
कपूर जलाएं और लक्ष्मी आरती गाते या गाते हुए मूर्ति के सामने घुमाएं।
आरती:
भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी के लिए अलग-अलग आरती पूरी करने के बाद, दोनों देवताओं की संयुक्त आरती करें।
आरती गाते या गाते समय दोनों मूर्तियों के सामने प्रज्वलित दीपक को गोलाकार गति में घुमाएं।
घंटी बजाकर आरती समाप्त करें।
प्रसाद वितरण:
पूजा के दौरान उपस्थित परिवार के सदस्यों, दोस्तों और भक्तों के बीच प्रसाद (धन्य भोजन) वितरित करें।
भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी के दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के प्रतीक के रूप में प्रसाद का सेवन करें।
ध्यान और मंत्र जप:
एक शांत कोने में बैठें और कुछ समय ध्यान या मौन प्रार्थना में बिताएं, प्राप्त आशीर्वाद पर ध्यान केंद्रित करें और आभार व्यक्त करें।
आप भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी को समर्पित मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं, जैसे गणेश गायत्री मंत्र या लक्ष्मी गायत्री मंत्र।
याद रखें, पूजा को भक्ति, हृदय की शुद्धता और ईमानदारी के साथ करना आवश्यक है। आप विशिष्ट पूजा पुस्तकों का भी उल्लेख कर सकते हैं या अधिक विस्तृत निर्देशों या गणेश लक्ष्मी पूजा से जुड़े विशिष्ट अनुष्ठानों के लिए एक पुजारी से परामर्श कर सकते हैं।