पसंद है मुझे

तेरे एहसासों से भरे ख्याल, वो शायरी हैं,
जिन्हें पढ़कर दोहराना पसंद है मुझे;
जिसका हर लफ्ज़ दिल में उतरता है गहरे कहीं,
उन ज़ज्बों में डूब जाना पसंद है मुझे;
तेरे चेहरे की रूमानियत के तो, कहने ही क्या,
तेरा आँखों से ही मुस्कुराना पसंद है मुझे;
बोलने पर तो हाल-ए-दिल, सब ही समझ जाते हैं,
पर तेरा, मेरी खामोशियाँ भी समझ जाना पसंद है मुझे;
किसी का ख़्वाब बनने की तमन्ना ही नहीं है,
बस तेरे ख्वाबों-ख्यालों में आना पसंद है मुझे;
तुझसे दिल लगाने वाले तो बहुत हैं सनम,
पर, तेरा मुझसे दिल लगाना पसंद है मुझे;
अधिकार देने वाले मुझे भी मिलते हैं बहुतेरे,
पर तेरा, मुझ पर हक़ जताना पसंद है मुझे;
मेरी इस श्वेत-श्याम सी ज़िन्दगी को आकाश देते हुए,
तेरा मुझे, इंद्रधनुष सा रंग जाना पसंद है मुझे;
जीवन के सूखे-जलते पठारों सी जमीं पर,
तेरे प्रेम की बारिश में भीग जाना पसंद है मुझे;
मेरी नज़्में, शायद छेड़ती होंगी तार कई दिलों के,
पर तेरा, मेरी नज़्मों को गुनगुनाना पसंद है मुझे;
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—(Copyright@भावना मौर्य “तरंगिणी”)—