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महारानी अहिल्याबाई होलकर – मराठा साम्राज्य की महान शासक

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आज आपको हम अहिल्या बाई होल्कर जी के बारे में कुछ ऐसी बातें बताते है जो बहुत कम लोग जानते है। अहिल्या बाई होल्कर एक ऐसी रानी थी जो नारीवाद की मिशाल है। अहिल्या बाई होल्कर जी का जन्म 31 मई 1725 में महाराष्ट्र के चौंडी गांव में एक मराठी हिंदू परिवार में हुआ था। वह प्रारंभिक-आधुनिक भारत में मराठा साम्राज्य की वंशानुगत कुलीन रानी थीं। उनके पिता मनकोजी शिंदे, एक सम्मानित धनगर परिवार के वंशज, पाटिल के रूप में कार्यरत थे। अहिल्या के पिता ने उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाया हालाँकि तब महिलाएँ स्कूल नहीं जाती थीं। अहिल्याबाई का जीवन भी बहुत साधारण तरीके से गुजर रहा था, लेकिन एकाएक भाग्य ने पलटी खाई और वह 18वीं सदी में मालवा प्रांत की रानी बन गईं।

जब मराठा पेशवा बाजी राव प्रथम की सेना में एक कमांडर और मालवा के शासक मल्हार राव होल्कर पुणे के रास्ते में चौंडी में रुके और उन्होंने वहां अहिल्या को एक मंदिर में देखा। गांव में सेवा, उसकी धर्मपरायणता और चरित्र से प्रभावित होकर, मल्हार ने पेशवाओं की सलाह पर अहिल्या से अपने बेटे खांडे राव होल्कर की शादी करवा दी। उनका विवाह 1733 में आठ वर्ष की आयु में खांडे राव से हुआ।

अहिल्या बाई के विवाहित जीवन के दौरान, उनका पालन-पोषण उनकी सास गौतम बाई ने किया। आज अहिल्या में स्थापित मूल्यों का श्रेय उनकी सास गौतम बाई को दिया जाता है। अहिल्याबाई प्रथम बार 1745 में माता बनी और पुत्र को जन्म दिया तथा तीन वर्ष बाद एक कन्या को जन्म दिया। पुत्र का नाम मालेराव और कन्या का नाम मुक्ताबाई रखा गया।

अहिल्या खांडे राव के साथ कई अभियानों में गई। उनके ससुर ने अहिल्या को प्रशासन, लेखा, राजनीति आदि में प्रशिक्षित किया। मल्हार राव के जीवन काल में ही उनके पुत्र खांडे राव का निधन 1754 में कुंभेर की लड़ाई के दौरान हो गया था और अंततः 1759 में अहिल्या को अपनी खासी जागीर सौंप दी। उन्होंने 1 दिसंबर 1767 से 13 अगस्त 1795 तक शासन का कार्य संभाला। उन्होंने पुरे राज्य को आत्मनिर्भर बनाया। अहिल्याबाई ने इंदौर के एक छोटे-से गांव को खूबसूरत शहर बनाया। उन्होंने मालवा के कई सड़कें और किले बनवाये।

जब पूरा देश भूखमरी से संघर्ष कर रहा तब अहिल्या बाई होल्कर जी के नेतृत्व में पूरा राज्य आयकर दे रहा था और दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनना सीखा रहा था। अहिल्या बाई जी ने महिला सशक्तीकरण पर बहुत बल दिया। माहेश्वरी सिल्क साड़ी अहिल्याबाई होल्कर की ही देन है।

अहिल्या बाई होल्कर ने अपनी संपत्ति से कई घाट, मंदिर, तालाब, कुएं और विश्राम गृह बनवाए। न केवल दक्षिण भारत में बल्कि हिमालय पर भी। उन्होंने ही सोमनाथ, बद्रीनाथ, काशी विश्वनाथ का जीर्णोद्धार किया तथा गया, अयोध्या, द्वारका, हरिद्वार, कांची, अवंती, रामेश्वर, मथुरा और जगन्नाथपुरी आदि का सुंदरीकरण करवाया। अहिल्या बाई होल्कर जी ने 13 अगस्त 1795 में अपने शरीर का त्याग कर दिया था। उनके सम्मान में भारत सरकार ने 25 अगस्त 1996 को उनकी याद में एक डाक टिकट जारी किया।

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