भगवान श्री राम की उद्भवस्थली बस्ती जनपद का मखौडा धाम

मखौड़ा धाम उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद में हर्रैया तहसील के परशुरामपुर विकास खंड में स्थित सबसे प्राचीन स्थानों में से एक है जहां अयोध्या नरेश राजा दशरथ ने महर्षि वशिष्ठ की सलाह पर ऋषि श्रृंगी की सहायता से पुत्रकामेक्षी यज्ञ किया था, तब जाकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ, अतएव इस स्थान को भगवान श्री राम जी की उद्भव स्थली माना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चक्रवर्ती सम्राट अयोध्या नरेश राजा दशरथ उनके वंश के आगे न बढ़ने के कारण चिंतित थे जिस कारण मुनि श्रेष्ठों ने उन्हें पुत्र प्राप्ति के लिये अथर्वेद के ज्ञाता ऋषि श्रृंगी की सहायता से पुत्र कामेक्षी यज्ञ सम्पन्न करवाने का परामर्श दिया। ऐसा भी कहा जाता है कि दशरथ और कौशल्या की बेटी जिनका नाम शांता है, ऋषि श्रृंगी की पत्नी थीं। राजा दशरथ ने मनोरमा नदी के किनारे मखौड़ा धाम में पुत्र कामेक्षी यज्ञ सम्पन्न करवाया। मनोरमा नदी गोण्डा जनपद से बहती हुई बस्ती जनपद के परशुरामपुर विकासखण्ड में प्रवेश करती है तथा बस्ती जनपद में महुली के समीप यह नदी सरयू नदी में समाहित हो जाती है।
ऋषि श्रृंगी द्वारा सम्पन्न कराये गए पुत्रकामेक्षी यज्ञ के निष्कर्ष स्वरुप यज्ञकुंड से खीर का पात्र प्राप्त हुआ था। ऋषि श्रृंगी ने राजा दशरथ को खीर का बर्तन दिया और अपनी तीनों रानियों में वितरित करने की सलाह दी। महारानी कौशल्या ने आधी खीर खा ली, महारानी सुमित्रा ने इसका एक चौथाई खा लिया। महारानी कैकेयी ने कुछ खीर खा लिया और शेष को महारानी सुमित्रा को वापस भेज दिया जिस कारण उन्होंने खीर को दूसरी बार खाया। इस प्रकार खीर के ग्रहण किये जाने के अनुरूप राजकुमारों का जन्म हुआ। चूंकि महारानी कौशल्या ने खीर के सबसे बड़े हिस्से का उपभोग किया था अतएव उन्होंने भगवान श्री राम को जन्म दिया। महारानी कैकेयी ने भरत को एवं महारानी सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया।
मनोरमा नदी के किनारे पवित्र वातावरण और ऐतिहासिक महत्व वाला मखौड़ा धाम श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है। विभिन्न त्योहारों के अवसर पर जीवंत हो उठता है और बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है।