मास्टर जी एक ढाबे में बैठ कर एक ख़ाली कटोरी में
रोटियां डुबो-डुबो कर बड़े मज़े से खा रहे थे।
तभी वहाँ के एक वेटर ने पूछा :- मास्टर जी कटोरी में कुछ नही है,
फिर भी आप ख़ाली कटोरी में रोटी डुबो-डुबो कर कैसे खा रहे हैं?
मास्टर जी :- देखो बेटा, हम ठहरे गणित के मास्टर हैं।
तो इसलिए हमने कटोरी में सब्जी को ‘मान लिया’है।
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अध्यापक पप्पू से पूछते है :- पप्पू कोई ऐसी जगह का नाम बतायो मुझे,
जहां पर तुम्हारे आस-पास बहुत सारे लोग है,
फिर भी तुम वहाँ पर अपने आप को अकेला महसूस कर रहे हो?
पप्पू :- सर जी, परीक्षा कक्ष!
अध्यापक :- बेहोश!
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टीचर (एग्जाम समय चिंटू से) :- तुम चुपचाप क्यों बैठे हो, कुछ लिख क्यों नहीं रहे हो?
चिंटू:- मैम मुझे पेपर में कुछ आ नहीं रहा है।
टीचर :- अरे ऐसे कैसे हो सकता है, कुछ तो आ रहा होगा ना।
चिंटू:- हां मैम, बस रोना आ रहा है।
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टीचर-चिंटू से :- चिंटू मुझे ऐसी कोई तीन जगह बताओ,
जहां पर कभी इंसान मरता ही नहीं है।
चिंटू :- मैडम जी, स्वर्ग, नर्क और..स्टार प्लस।
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टीचर क्लास में बच्चों से :- बच्चों अगर तुम लोग अपना सच में कैरेक्टर सुधारना चाहते हो
तो तुम लोग अपनी टीचर को मां समझो….
गोलू :- मैडम जी, इससे तो फिर हमारे पिताजी का कैरेक्टर खराब हो जायेगा….!!
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टीचर-मोहन से :- बताओ मोहन सन्-1869 में क्या हुआ ?
मोहन :- मैंम, गांधीजी का जन्म हुआ था!
टीचर :- बिलकुल सही मोहन. बैठ जाओ…
टीचर :- चल चिंटू अब तु बता.. 1872 में क्या हुआ…?
चिंटू :- मैंम, गांधीजी लगभग 3 साल के हो गए होंगे…
अब मैं भी बैठू जाऊ, मैंम?
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