पांच दिवसीय ‘ट्रेनिंग-कम-एक्सपोज़र विजिट’ पर सूरत एवं अहमदाबाद पहुंचे प्रदेश के महापौर और नगर आयुक्त
प्रदेश के विकास में शहर ग्रोथ इंजन का कार्य करते हैं। उत्तर प्रदेश में तीव्र गति से शहरीकरण हो रहा है, जिसके चलते वर्ष 2019 के बाद से अब तक 241 नये नगरीय निकायों का सृजन एवं सीमा विस्तार किया गया। नगरीय व्यवस्थाओं, सुविधाओं को और बेहतर व सुदृढ कैसे बनाएं, इसके लिए गुजरात के सूरत एवं अहमदाबाद में हो रहे 05 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के लिए प्रदेश के महापौर और नगर आयुक्त पहुंच गए हैं। यहां पर अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर, अर्बन गवर्नेंस, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, सीवर व सेप्टेज, जल निकासी आदि के सम्बंध में नई जानकारी प्राप्त करेंगे। यह प्रशिक्षण ‘इमर्जिंग गुड प्रैक्टिसेस इन अर्बन प्लानिंग एण्ड मैनेजमेंट’ विषय पर 01 अगस्त से 05 अगस्त तक चलेगा। यह प्रशिक्षण सीईपीटी यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए0के0 शर्मा ने इस सम्बंध में जानकारी देते हुए बताया कि गुजरात के सूरत एवं अहमदाबाद नगर निगम अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर एवं अर्बन गवर्नेन्स के क्षेत्र में देश के अग्रणी नगर निकायों में से है। इस दृष्टिकोण से हमारे प्रदेश के नगर निगमों के नवनिर्वाचित महापौर और नगर आयुक्त वहां जाकर नगरीय व्यवस्था का अध्ययन करेंगे, और प्रत्यक्ष देखेंगे भी। मुझे उम्मीद है कि यह प्रशिक्षण सह एक्सपोजर विजिट नगर निगम के लिये अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी, जिसके द्वारा सूरत एवं अहमदाबाद नगर निगमों में अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर एवं अर्बन गवर्नेन्स के क्षेत्र में अपनाये जा रही बेस्ट प्रैक्टिसेस को अपने नगर निगम में लागू कराये जाने में सहायता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि नागरिकों को स्वच्छ पेयजल, सीवर/सेप्टेज, जल निकासी, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट, सड़क मार्ग प्रकाश एवं नगरीय परिवहन इत्यादि मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराने का प्राथमिक दायित्व नगरीय निकायों का है। नागरिक अकांक्षाओं के अनुरूप आधारभूत सुविधाओं और सेवाओं को बेहतर बनाने तथा नगरीय निकायों में उत्पन्न होने वाली नई-नई चुनौतियों से निपटने में यह प्रशिक्षण सहायक होगा।
नगर विकास मंत्री ने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए सभी महापौर से अनुरोध किया था और इस सम्बंध में नगर आयुक्तों को भी निर्देश दिये थे कि वे अपने-अपने नगर निगम से सम्बंधित कार्ययोजना बनाकर ले जाएं, जिससे कि इसे प्रभावी रूप से इमप्लीमेंट कराये जाने के सम्बंध में ‘ट्रेनिंग-कम एक्सपोजर विजिट’ के दौरान इस पर समुचित विचार-विमर्श भी हो सके।