मुंबई यूनिवर्सिटी: बी.कॉम स्ट्रीम के छात्रों का दोबारा परीक्षा देने के बाद भी प्रदर्शन निराशाजनक
मुंबई: ऐसा प्रतीत होता है कि शहर के कई छात्र अभी भी कोविड-19 महामारी के दौरान हुए पढाई के नुकसान से जूझ रहे हैं, क्योंकि मुंबई विश्वविद्यालय (एमयू) के बीकॉम के लगभग आधे छात्र, जिन्होंने अपनी पांचवे सेमेस्टर परीक्षा दोबारा दी थी जिसमे वो एक बार फिर फेल हो गए।
पिछले साल नवंबर-दिसंबर में रेगुलर परीक्षा में असफल होने के बाद, इस साल अप्रैल-मई में बीकॉम अंतिम वर्ष के 36,105 छात्रों ने पांचवें सेमेस्टर की रिपीट परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था। इनमें से केवल 16,782 ही सभी पेपर पास हो पाए और उनकी सफलता दर 51.36% दर्ज की गई। रेगुलर सेमेस्टर पाँच की परीक्षा में छात्रों का प्रदर्शन और भी खराब था, उनमें से केवल एक तिहाई, यानी सटीक रूप से 34.25%, परीक्षा उत्तीर्ण कर पाए।
बीकॉम के छात्र एमयू से संबद्ध कॉलेजों में नामांकित छात्रों की सबसे बड़ी संख्या हैं। अंतिम वर्ष के छात्रों का अंतिम बैच, जिन्हें 2022-23 में स्नातक होना चाहिए था, उन्हें पाठ्यक्रम के पहले और दूसरे वर्ष के दौरान कन्वेंसशनल फिजिकल सेमेस्टर-एन्ड परीक्षाओं का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि शिक्षण और मूल्यांकन प्रक्रिया महामारी के कारण ऑनलाइन कर दी गई थी।
विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा, “छात्रों को पेपर लिखने में मुश्किलें आ रही हैं, क्योंकि हम परीक्षा के सब्जेक्टिव क्वेश्चन पैटर्न पर वापस आ गए हैं। लेकिन परिणाम बताते हैं कि समय के साथ उनमें सुधार हुआ है।
कोविड का प्रभाव कॉमर्स स्ट्रीम तक सीमित नहीं है। इसी तरह के परिणाम दो अन्य प्रमुख पाठ्यक्रमों, बीए और बीएससी के सेमेस्टर (5) परीक्षाओं के लिए दर्ज किए गए थे, जहां केवल 33.45% और 36.27% ने परीक्षा उत्तीर्ण की थी। विश्वविद्यालय ने अभी तक इन कार्यक्रमों के लिए दोबारा परीक्षाओं के परिणाम घोषित नहीं किए हैं।
सुधार के बहुत कम संकेत हैं क्योंकि अप्रैल-मई में आयोजित सभी तीन पाठ्यक्रमों के लिए रेगुलर छठे सेमेस्टर की परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने की दर अभी भी 40% से कम है जो की रेगुलर पाचंवे सेमेस्टर की परीक्षा से थोड़ी ही बेहतर है।
जोगेश्वरी के इस्माइल यूसुफ कॉलेज में वाणिज्य प्रोफेसर और एमयू की अकादमिक परिषद के सदस्य अरविंद लुहार ने कहा कि छात्रों को फाइनेंसियल एकाउंटेंसी, कॉस्ट एकाउंटेंसी और टैक्सेशन जैसे प्रैक्टिकल ओरिएंटेड सब्जेक्ट्स में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, कई छात्र शिक्षा पर ध्यान कम दे पाए थे क्योंकि वे अपने परिवार की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के बारे में अधिक चिंतित थे।