पोषण वाटिका के कार्यों में उत्तर प्रदेश की ‘नारी शक्ति’ को मनरेगा का ‘वंदन’

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में उत्तर प्रदेश में ग्राम्य विकास विभाग के माध्यम से जहां महिला सशक्तिकरण व स्वावलंबन की दिशा में क्रान्तिकारी कदम उठाए गए हैं, वहीं मनरेगा कन्वर्जेंस के माध्यम से कुपोषण पर भी चोट की की जा रही है। मनरेगा, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं अन्य योजनाओं के मध्य कन्वर्जेंस के अन्तर्गत सामुदायिक एवं व्यक्तिगत लाभार्थियों की भूमि पर न्यूट्री-गार्डेन,(पोषण बाटिका) का निर्माण मनरेगा की गाइडलाइंस में अनुमन्य नियमों के तहत कराया जा रहा है। कुपोषण को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में पोषण की स्थितियों में सुधार के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इस अभियान में मनरेगा समेत अन्य संबंधित विभाग भी सार्थक प्रयास कर रहे हैं। व्यक्तिगत पोषण वाटिका को लेकर महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत पोषण वाटिका के लगभग 2,156 कार्य प्रारंभ कराए जा चुके हैं।

इन कार्यों में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को विशेष वरीयता दी जा रही है। प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए मनरेगा कन्वर्जेंस के तहत हो रहे पोषण वाटिका के 2,156 में से 2,016 कार्यों को स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की भूमि पर कराया जा रहा है। वहीं बात की जाए अगर सामुदायिक पोषण वाटिका की तो मनरेगा कन्वर्जेंस के तहत 291 कार्यों को प्रारंभ कराया जा चुका है। इसमें भी 166 कार्यों में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को लाभांवित किया गया है।

मनरेगा में ‘नारी शक्ति वंदन’

ग्राम्य विकास आयुक्त जी एस प्रियदर्शी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का हर मौका दे रही है। जिसमें ग्राम्य विकास विभाग अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है।व्यक्तिगत पोषण वाटिका के कार्यों में मनरेगा के तहत 2,156 में से 2,016 कार्य केवल स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की भूमि पर कराए जा रहे हैं। वहीं सामुदायिक पोषण वाटिका के 291 में से 166 कार्यों में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लाभांवित किया गया है।

पोषण वाटिका से सुधरेगी कुपोषित बच्चों की सेहत

बच्चों को सुपोषित बनाने पर सरकार का जोर है। इसके तहत बच्चों को बौनापन, अल्पपोषण की समस्या से उबारने और कुशाग्र बुद्धि का बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार ने निर्देश हैं कि विद्यालयों, पंचायत भवनों के साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों पर सब्जी-फल समेत तमाम पोषक तत्वों की उपलब्धता वाले पौधे लगाए जाएं और इनके फलों पत्तियों समेत सभी भागों को मध्यान्ह भोजन यानि कि मिड-डे मील में शामिल किया जाए। बच्चों के साथ किशोरियों, गर्भवती और धात्री महिलाओं को इसे उपलब्ध कराएं और इसके प्रयोग के बारे में बताएं।

पोषण वाटिका के निर्माण में मनरेगा के तहत मजदूरों और कुशल कारीगरों को भी बड़े पैमाने पर कार्य उपलब्ध हो रहा है। पोषण वाटिका के निर्माण के लिए भूमि विकास, भूमि का समतलीकरण के साथ-साथ वृक्षारोपण के कार्य को किया जा रहा है। बाल विकास पुष्टाहार, बेसिक शिक्षा (मध्यान्ह भोजन योजना) आजीविका मिशन जैसे विभाग भी कुपोषण मुक्त समाज के लिए अपना योगदान दे रहे हैं।

पोषक युक्त सब्जी और फलों से दूर होगा कुपोषणः-

बच्चों को मौसमी सब्जियों की उपयोगिता व उसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में जानकारी बढ़ाना, जिससे वह यह संदेश अपने परिवार के सदस्यों तक पहुंचा सकें, इस वाटिका का यह प्रमुख उद्देश्य है। 2 दर्जन से भी ज्यादा प्रकार की पोषक युक्त सब्जी उगाकर बच्चों को मध्यान्ह भोजन में उपलब्ध कराकर बच्चों में पोषण की कमी को दूर किया जाएगा। अलग-अलग सीजन में उगाई जाने वाली सब्जियों में भिंडी, पालक, लोबिया, लौकी, करेला, बैंगन, कद्दू, करबूज, खरबूजा, मटर, टमाटर, गोभी समेत कई पोषक युक्त सब्जियां और फल शामिल हैं।

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