विज्ञान और तकनीक

नासा बंद करेगा फ्लैशलाइट

नासा का एक बहुअकांक्षी प्रोजेक्ट है जिसका नाम फ्लैशलाइट है। ये कोई आम प्रोजेक्ट नहीं है। ये अपने आप में काफी हद तक नयी तकनीकियों को जांचने के लिए शुरू किया गया था। इसे पिछले वर्ष 11 दिसंबर को प्रक्षेपित किया गया था।

ये एक छोटी सैटेलाइट है जिसे की चन्द्रमा की ध्रुवीय गड्ढे हैं, जिनकी सतह पर बर्फ मिलने की आकांक्षा थी उन्ही के अध्ययन के लिए प्रक्षेपित किया गया था। इस सैटेलाइट की खास बात ये भी है की इसमें एकदम नया और उन्नत प्रोपल्शन सिस्टम लगा था।

ये एक छोटा सिस्टम है। और इसे पूर्णतः नए डिज़ाइन से बनाया गया था। ये भी पता चला है की इसके उपकरणों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। परन्तु इस प्रोपल्शन से उतना थ्रस्ट नहीं उत्पन्न हुआ जिसकी ज़रूरत थी। इसमें इस्तेमाल होने वाला ईंधन भी ग्रीन ईंधन है।

इसके अलावा इसमें एकदम नया स्फिंक्स फ्लाइट कंप्यूटर लगा था जो की बेहद कम ऊर्जा के उपयोग से चल सकता है और सूर्य से निकलने वाली रेडिएशन से भी बच सकता है। इसके साथ ही एक बेहद उन्नत लेज़र रेफ्लेक्टोमीटर भी लगा था जो की चन्द्रमा की सतह की सघन जाँच करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता था।

जैसा की हमने बताया की उन्नत प्रोपल्शन सिस्टम होने के बावजूद ये उतनी ऊर्जा उत्पन्न नहीं कर पाया जितने की आवश्यकता थी जिसकी वजह से छोटा सैटेलाइट अपने तय ऑर्बिट में नहीं पहुंच पाया और एअर्थ मून सिस्टम में फँस गया। जिसके कारण नासा ने तय किया की इसे बंद कर दिया जाएगा। वैसे भी नासा के वैज्ञानिको ने अपने सभी प्रयास कर लिए थे जिससे की इसे अपनी तय कक्षा में स्थापित किया जा सकत।, परन्तु ऐसा हो न पाया।

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