प्रकृति अपना हिसाब जरूर लेती है

इंसान प्रकृति से खेल रहा है या प्रकृति इंसान को उसके कर्म का जबाब दे रही है , हाल ही में मोरक्को में आया तूफान उससे पहले तुर्किये में आया भूकंप इसके गवाह है क्योकि दोनों आने से पूर्व आसमान में नीली पीली रौशनी नज़र आई। सुमद्री बाढ़ और बारिश की वजह से आई फ्लैश फ्लड ने कई धनवान देशो पर ऊँगली उठा दी है जिसमे मुख्य अमेरिका है क्योकि उसके पास मिलिट्री प्रोग्राम HAARP है। जो अलास्का समुद्र से घिरा है और वंहा की आबादी दी 89000 ही है .जो की अलास्का में स्थित अमेरिकी एक वेधशाला है जो रेडियो ट्रांसमीटर की मदद से ऊपरी वातावरण का अध्ययन करती है।
पूर्वी डर्ना जो लीबिया का शहर है में , 24 घंटे में 5000 से ज्यादा लोगों के शव मिले हैं. 5300 से ज्यादा लोगों के मारे जाने और 10 हजार से ज्यादा लोगों के लापता होने की सुचना है, जिसकी वजह थी एक तूफान की वजह से आई भयानक बाढ़, तूफान का नाम है डैनियल।
इससे आई बाढ़ ने बांधों को भी तोड़ डाला बांधों के टूटने से पानी की मात्रा और विकराल हो गयी, जिसके पानी ने तेजी से शहरों और गांवों को अपनी चपेट में ले लिया। राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से कमजोर देश में प्रकृति की यह मार खतरनाक साबित हुई। कई जगहों पर घर टूट गए। समुद्र का पानी बाढ़ का रूप लेकर शहर में घुस गया, बांध टूट गए, ब्रिज टूट गए, इतनी भयानक तबाही पहले किसी ने भी नहीं देखी थी।
अब सवाल है विज्ञानं मानव हित में काम करे तो समझ आता है लेकिन अगर अमीर देश अपने देश की रक्षा या विलासता के लिए कोई टेस्ट करें जिससे मानव को खतरा हो तो, प्रकृति ऐसे ही तांडव करेगी , पेड़ो के कटने से ही हिमाचल में तूफानी बारिश हुई जिससे पहाड़, घर सड़क आदि ढह गए। यह सब मानव ने अपने लिए किया, जिसके बाद प्रकृति ने मानव को वही वापस कर दिया।