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अल्फा से अधिक खतरनाक है डेल्टा वेरिएंट – अरोड़ा

नई दिल्ली | देशभर में कोरोना का कहर अब भी जारी है। वहीं केरल में इस समय भी कोविड संक्रमण दर 10.9 फीसदी पर बनी हुई है। यहां बकरीद के मौके पर तीन दिनों के लिए लॉकडाउन के नियमों में ढील दिए जाने के केरल सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक हस्तक्षेप आवेदन की सुनवाई की। सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कोविड पॉजिटिविटी रेट कथित तौर पर 0.04 फीसदी पर बनी हुई है।


कांवड़ यात्रा पर उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही शुरू किए गए स्वत: संज्ञान मामले में दिल्ली निवासी पीकेडी नांबियार द्वारा आवेदन दायर किया गया था। नांबियार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने तर्क दिया कि केरल में इस समय पॉजिटिविटी रेट 10.9 फीसदी है, जो सबसे ज्यादा है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह सिर्फ 0.042 फीसदी है।


कोर्ट ने कांवड़ यात्रा के संबंध में हस्तक्षेप किया और उप्र सरकार द्वारा इसे अनुमति दिए जाने के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया। सिंह ने कहा कि दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट इस वक्त महज 0.08 फीसदी है और 5 फीसदी से अधिक पॉजिटिविटी रेट निश्चित रूप से अच्छी नहीं है।

इस पर न्यायमूर्ति आर.एफ.नरीमन ने कहा, “कथित तौर पर 0.04 प्रतिशत।” सिंह ने फिर तर्क देते हुए कहा कि ये आंकड़े संबंधित राज्य सरकारों द्वारा रखे गए हैं और इसी के साथ उन्होंने केरल में कोविड-19 की गंभीर स्थिति की ओर इशारा किया। उन्होंने कोर्ट से इस मामले पर आदेश पारित करने का अनुरोध किया।

आवेदन में कहा गया है कि कांवड़ यात्रा पर कोर्ट द्वारा दिखाए गए असंतोष के बावजूद केरल सरकार कोविड के मानदंडों में ढील देकर बेहद सहज रुख अपना रही है। याचिका में कहा गया है, भारत के नागरिकों को पूरी तरह से निराश करते हुए केरल सरकार ने आगामी बकरीद के त्योहार को ध्यान में रखते हुए 18, 19 और 20 जुलाई को लॉकडाउन प्रतिबंधों में 3 दिन की ढील देने की घोषणा की है।

केरल सरकार के वकील ने दलील दी कि त्योहार के मौके पर उनके द्वारा कुछ दुकानों को खोले जाने की अनुमति दी गई है और इनमें कोविड मानदंडों का सख्ती से पालन किया जाएगा। हालांकि कोर्ट ने नोटिस जारी कर केरल सरकार से इस पर जवाब मांगा है।


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