शासन

हिन्दुओं को घाटी में वापस लाये: गवर्नर का आदेश

जम्मू | जम्मू कश्मीर में 1990 में निकाले गए कश्मीरी पंडीतों का दर्द अभी भी ताज़ा है। इस घटना के 30 साल बीत जाए के बाद भी अभी तक इन कश्मीरी हिन्दुओं की घर वापिसी नहीं हो सकी है। अब जम्मू कश्मीर में, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि सरकारी अधिकारियों को कश्मीरी पंडितों की कश्मीर में वापसी की सुविधा के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए। 
तत्कालीन कश्मीर से निकले गए ये हिन्दु अब देश के कोने कोने में बसे हुए हैं लेकिन कश्मीर वापिसी की इच्छा इनके मन में हमेशा से ही प्रबल रही है।उपराज्यपाल ने शनिवार को श्रीनगर के राजभवन में आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण (DMRR&R) विभाग के कामकाज की समीक्षा के लिए एक बैठक के दौरान ये टिप्पणी की। 
उन्होंने कहा कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और देश और विदेश के अन्य हिस्सों में कश्मीरी पंडितों के कई परिवार रहते हैं, जो घर लौटने के इच्छुक हैं और सरकारी अधिकारियों को उचित माध्यमों से उन तक पहुंचने के लिए एक व्यापक अभ्यास शुरू करना चाहिए। 
श्री सिन्हा ने कहा कि सबसे पहले, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कश्मीरी पंडितों की पूरी आबादी जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ पंजीकृत हो, क्योंकि बहुत से लोग अपने पुराने जीवन के लिए तरस रहे हैं और कश्मीर में अपने वतन लौटना चाहते हैं। उपराज्यपाल ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि कश्मीरी प्रवासियों का लाभ उन सभी समुदायों तक पहुंचना चाहिए जो उक्त श्रेणी में आते हैं।
उपराज्यपाल ने कश्मीर घाटी में कश्मीरी प्रवासी कर्मचारियों के लिए पारगमन आवास को पूरा करने के लिए समय सीमा तय की और इस साल नवंबर तक गांदरबल में पारगमन आवास को पूरा करने के भी आदेश दिए।  उन्होंने शोपियां में मार्च 2022 तक और बारामूला और बांदीपोरा में नवंबर 2022 तक निर्माण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए।
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