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प्रदेश सरकार द्वारा ईको टूरिज्म को दिया जा रहा बढ़ावा

प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने से भारत में अमेरिकन एम्बेसी/स्कूल के 18 पर्यटकों का अमेरिकन दल 11 सितम्बर, 2021 को इटावा लॉयन सफारी पार्क का भ्रमण किया, जिसका प्रदेश के पर्यावरण, वन्य जन्तु एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वहां पहुंचकर स्वागत किया गया।
अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मनोज कुमार सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश सरकार की ईको टूरिज्म नीति से प्रभावित होकर विदेशी पर्यटक इटावा लॉयन सफारी पार्क का भ्रमण करने आ रहे हैं। अमेरिकन नागरिकों का यह पहला दल है जिसने पार्क का भ्रमण किया। इसके पहले जर्मन दम्पत्ति डेनिस और कालरा सफारी पार्क का भ्रमण कर पहले विदेशी पर्यटक बने थे। इसके पश्चात विदेशी पर्यटकों का एक और दल इटावा सफारी पार्क में भ्रमण के लिए आया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इटावा सफारी पार्क भ्रमण के लिए भारतीय पर्यटकों के अतिरिक्त विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि अमेरिकन एम्बेसी के पर्यटकों द्वारा इटावा सफारी पार्क की व्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉयन के संरक्षण की सराहना की गयी। सफारी पार्क के निदेशक कृष्ण कुमार सिंह और उप निदेशक ए0के0 सिंह ने अमेरिकन पर्यटकों का स्वागत किया तथा उन्हें सफारी में घुमाने भी ले गये। सफारी पार्क का भ्रमण करने के पश्चात पर्यटकों में से डॉ0 फ्रेजियर ने कहा कि यहां के दृश्य बहुत आकर्षक और प्रभावशील तथा पारिस्थितिकीय तंत्र का निर्माण काफी प्रशंसनीय है। पर्यटकों में आईएमएफ के भारतीय प्रतिनिधि मि0 बु्रअर भी अपने परिवार के साथ शामिल थे। सफारी भ्रमण के पश्चात पर्यटकों द्वारा भारत में पहली बार लॉयन सफारी का भ्रमण कराने की अति उत्तम व्यवस्था की सराहना की गयी।
इस विश्व स्तर की लॉयन सफारी के भ्रमण के लिए सुरक्षित माहौल ने पर्यटकों को उत्साहित किया है, जिसके लिए अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह का प्रयास काफी सराहनीय रहा है। पर्यटकों ने अन्त में विजीटर बुक में अपने नोट में कहा है कि भविष्य में फिर से इस लॉयन सफारी में भ्रमण के लिए आएंगे। अपर मुख्य सचिव जन्तु एवं पर्यावरण ने बताया कि इटावा लॉयन सफारी जैसी इको टूरिज्म वाली विशेषताएं प्रदेश में 08 अन्य स्थानों पर भी विकसित किये जा रहे हैं।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि एशियाई बब्बर शेर पहले पश्चिम में फारस, मिó, बलूचिस्तान, सिन्ध, पूर्व में बंगाल, उत्तर में रामपुर व रूहेलखण्ड, दक्षिण में नर्मदा नदी तक था। मानव जनसंख्या में वृद्धि तथा वनों के अत्यधिक दोहन व शिकार के कारण शेर इस क्षेत्र से विलुप्त हो गये। वर्तमान में एशियाई बब्बर शेर गुजरात के गिर वन में ही पाये जाते हैं, जिसे इटावा लायन सफारी में भी पुनः स्थापित किया गया है।

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